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'इशरत जहां एनकाउंटर फर्जी था'

२१ नवम्बर २०११

इशरत जहां एनकाउंटर फर्जी था. फर्जी मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए. मोदी सरकार को झटका देते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है. विशेष जांच दल की रिपोर्ट से हुआ खुलासा.

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डीसी वंजारा और एमएन दिनेशतस्वीर: UNI

एनकाउंटर की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि इशरत और तीन अन्य लोगों को पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मारा. एनकाउंटर 15 जून 2004 को हुआ. पुलिस ने कहानी गढ़ी कि मारे गए लोग आतंकवादी थे और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करना चाहते थे.

Indien Studentin Ishrat Sheikh auch Ishrat Jehan durch Polizei getötet
इशरत जहां के परिवारतस्वीर: AP

एसआईटी की रिपोर्ट के बाद गुजरात हाई कोर्ट ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. जस्टिस जंयत पटेल और जस्टिस अभिलाषा कुमारी की बेंच ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट मामले की जांच सीबीआई या राष्ट्रीय जांच एजेंसी से करवाने पर भी विचार कर रहा है. अदालत ने पीड़ित परिवारों और राज्य सरकार की राय भी मांगी है.

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट 18 नवंबर को अदालत को सौंपी. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने 2004 में इशरत, जावेद शेख, अमजद अली राणा और जीशान जोहर को फर्जी मुठभेड़ में मारा. एनकाउंटर की खबर का खंडन इशरत जहां के परिवार वालों ने किया. 2009 में पूरी हुई जांच में भी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने एनकाउंटर को फर्जी करार दिया. उस रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस वालों ने अपने फायदे के लिए साजिश बनाकर हत्याएं की.

इसके बाद जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया गया. दरअसल आरोपियों में गुजरात पुलिस के तत्कालीन ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पीपी पांडे, निलंबित डीआईजी डीजी वंजारा, एससीपी जीएल सिंघल, और एसीपी एनके अमीन समेत 21 पुलिसकर्मी हैं. वंजारा और अमीन सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में भी आरोपी है और दोनों आईपीएस अधिकारी फिलहाल जेल में हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: वी कुमार

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