इराक़ जांच आयोग बना, ब्लेयर से भी होगी पूछताछ
२४ नवम्बर २००९2003 में अमेरिका ने जब इराक़ युद्ध छेड़ा, तब वह अकेला नहीं था. ब्रिटेन भी उसके साथ था. ब्रिटेन के इस निर्णय की जांच-परख के लिए सोमवार से वहां एक सार्वजनिक जांच शुरू हुई है, जो सरकार को बड़े पशोपेश में डाल सकती है. पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर सहित बहुत से लोगों को गवाही के लिए बुलाए जाने की संभावना है.
पांच सदस्यों वाले जांच आयोग का गठन वर्तमान प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने जून में किया था. उसे पता लगाना है कि 2003 में इराक़ पर अमेरिका के हमले में और बाद में उस पर सैनिक आधिपत्य में ब्रिटेन के शामिल होने के पीछे क्या कारण थे. जांच आयोग के अध्यक्ष जॉन चिलकोट ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें विश्वास है कि उन्हें जुलाई 2001 से लेकर जुलाई 2009 के बीच के सारे निर्णयों को पूरी तरह जानने का मौक़ा मिलेगा. उन्होंने कहा, "हम साक्ष्यों के आधार पर सारी कहानी को खुल कर और पूरी तरह लिखने के लिए दृढ़संकल्प हैं."
चिलकोट ने कहा कि वह इराक़ में सेना भेजने के सभी पहलुओं को साफ़ साफ़ समझना चाहते हैं. जनता उनसे से पूरी तरह निष्पक्षता और तथ्यपरकता की आशा कर सकती है. तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने सद्दाम हुसैन को हटाने के अमेरिकी अभियान में हाथ बंटाने लिए 45 हज़ार सैनिक इराक़ भेजे थे. यह सैनिक अभियान आधिकारिक तौर पर इस साल अप्रैल में समाप्त घोषित किया गया और उसने 179 ब्रिटिश सैनिकों के प्राण लिए.
मृतकों के परिजन और अन्य लोग भी इराक़ युद्ध में ब्रिटिश उलझाव की जांच करने की मांग करते रहे हैं. जांच की सुनवाइयां टेलीविज़न पर दिखायी जाएंगी. पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर सहित अनेक राजनितिज्ञों और सैनिक अफ़सरों को भी साक्ष्य देने के लिए बुलाया जाएगा. ब्लेयर पर आरोप है कि संसद की मंज़ूरी से पहले ही उन्होंने इराक़ पर हमले की पूर्व राष्ट्रपति बुश की योजना का समर्थन कर दिया.
रिपोर्टः एजेंसियां/राम यादव
संपादनः ए कुमार