इबोला वायरस का पता एक जर्मन वायरलॉजिस्ट ने दो रिसचर्रों के साथ मिलकर आज से 40 से पहले लगाया. तब इसके लिए वैक्सीन बनाने की शुरुआत भी हुई. वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण सफल रहा. लेकिन इसके बावजूद गरीब देशों के लिए दवा विकसित करने में आने वाले अथाह खर्च के चक्कर में इंसान के लिए दवा नहीं बनाई गई. अब उस पुराने तरीके के सहारे इबोला से लड़ने की तैयारी हो रही है.