इतिहास में आज: 6 अगस्त
५ अगस्त २०१४धरती पर सबसे पुराना, प्रोमीथियस के नाम से जाना जाने चीड़ का यह पेड़ अमेरिका के पूर्वी नेवादा इलाके में था. 6 अगस्त 1964 को ग्रैजुएशन के एक छात्र ने अपनी रिसर्च के लिए साथियों के साथ मिलकर इस पेड़ को काट दिया. माना जाता है कि उनमें से किसी को भी इस पेड़ की उम्र के बारे में जानकारी नहीं थी.
प्रोमीथियस वृक्ष के बारे में शोध करने वाले रिसर्चर डोनाल्ड रस्क करी ने इसे डब्लूपीएन-114 नाम दिया था. क्योंकि नेवादा में उनकी रिसर्च के दौरान काटा जाने वाला यह 114वां पेड़ था.
करी को प्रोमीथियस के ऐतिहासिक महत्व के बारे में पता था या नहीं इस बारे में अलग अलग बातें कही जाती हैं. कुछ का मानना है उन्हें पता था और कुछ जगह कहा गया है कि उन्हें इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था. रिसर्च के दौरान 1963 में उन्हें पता चला कि नेवादा के व्हीलर पीक इलाके में कुछ प्राचीनतम पेड़ मौजूद हैं. यहां उन्हें एक पेड़ के तने के भीतरी सैंपल से पता चला कि वह 3000 साल से भी ज्यादा पुराना था.
प्रोमीथियस को काटने के पीछे भी यही मकसद था कि उन्हें इसके तने का भीतरी हिस्सा चाहिए था. रिसर्च से प्रोमीथियस की उम्र का पता चलने के बाद उस इलाके के चीड़ के पेड़ों की रक्षा की भारी मुहिम छिड़ गई. इस हादसे के करीब 22 साल बाद पहाड़ी के उस इलाके को राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया. प्रोमीथियस के तने के कुछ हिस्से आज नेवादा के ग्रेट बेसिन नेशनल पार्क और एली कंवेंशन सेंटर के अलावा कैलिफोर्निया के इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन जेनेटिक्स और ऐरिजोना विश्वविद्यालय में भी हैं.
माना जाता है इस पेड़ का नाम पौराणिक किरदार प्रोमीथियस के नाम पर पड़ा था, जो ईश्वर से अग्नि चुराकर मनुष्य के पास लाया था.