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इतिहास में आज: 6 अक्टूबर

ओंकार सिंह जनौटी
५ अक्टूबर २०१७

जापान पर अमेरिका के परमाणु हमले के बाद सोवियत संघ बेचैन हो उठा. और फिर 6 अक्टूबर 1951 को एटमी हथियारों की होड़ का एलान कर दिया गया.

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Symbolbild Geisterzug Russland
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Kolesnikova

छह अक्टूबर 1951 की सुबह सोवियत संघ के प्रमुख अखबार प्रावदा के पहले पन्ने पर जोसेफ स्टालिन का इंटरव्यू छपा. इस इंटरव्यू के जरिये दुनिया को पता चला कि सोवियत संघ ने भी परमाणु बम बना लिया है. स्टालिन ने कहा, "हाल ही में हमारे देश में एक किस्म के परमाणु बमों का परीक्षण किया गया है. अलग अलग क्षमताओं वाले एटम बमों का परीक्षण भविष्य में किया जाएगा और ब्रिटिश और अमेरिकी ब्लॉक के आक्रमक रुख से देश को बचाने की योजना है." यह पहला मौका था जब सोवियत संघ के किसी नेता ने सार्वजनिक रूप से परमाणु बम बनाने की बात स्वीकार की.

अगस्त 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका के परमाणु हमलों के बाद दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ. महायुद्ध में एक तरफ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और सोवियत संघ जैसे मजबूत मित्र देश थे, तो दूसरी तरफ जर्मनी, इटली और जापान जैसे धुरी देश. लेकिन अमेरिका के एटमी हमले के फौरन बाद सोवियत संघ को यह अहसास होने लगा कि अमेरिका बहुत ही ज्यादा ताकतवर हो गया है. मॉस्को को लगा कि वॉशिंगटन ने एटमी हथियारों की बात उससे छुपाई. इससे पश्चिम और सोवियत संघ के बीच अविश्वास पैदा हो गया. और शीत युद्ध की शुरुआत हो गई.

(आज किस देश के पास कितने एटम बम हैं)

सोवियत संघ ने बिना देर किये परमाणु हथियार बनाने का काम शुरू कर दिया. स्टालिन ने यह भी कहा, "इन परिस्थितियों ने सोवियत संघ को परमाणु हथियार बनाने के लिए विवश किया है ताकि आक्रामक देशों के खिलाफ तैयार रहा जा सके." स्टालिन ने परमाणु हथियारों की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने कई बार परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, लेकिन अटलांटिक ब्लॉक (अमेरिका-ब्रिटेन) ने हमेशा इस मांग को खारिज किया.

सोवियत संघ के एटम बम बनाने के एलान के साल भर बाद ब्रिटेन ने 3 अक्टूबर 1952 को पहली बार एटम बम बनाने का दावा किया. फिर तो होड़ ही शुरू हो गई. 1960 में फ्रांस इस होड़ में शामिल हुआ. फिर चीन, इस्राएल, भारत और पाकिस्तान भी एटमी हथियारों की एटमी शक्ति बन गए. अब उत्तर कोरिया भी इस होड़ में शामिल हो चुका है. लीबिया और ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी संदेह के घेरे में आ चुका है.

(दुनिया भर की सेनाओं के पास सोवियत संघ के हथियार)