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इतिहास में आज: 28 सितंबर

२७ सितम्बर २०१४

"जिंदगी अपने दम पर जी जाती है, दूसरे के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं." रोमांच जगाने वाली ऐसी ही शख्सियत से जुड़ा है आज का इतिहास. 28 सितंबर 1907 को भगत सिंह का जन्म हुआ.

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तस्वीर: AP

आज कुछ ही नाम ऐसे हैं जिन्हें भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों के लोग सम्मान से देखते हैं. भगत सिंह इन्हीं में से एक हैं. पंजाब के एक किसान के घर जन्मे भगत सिंह को बचपन से ही पढ़ने लिखने का बड़ा शौक था. लाहौर में स्कूली शिक्षा के दौरान उन्होंने यूरोप के अलग अलग देशों में हुई क्रांति के बारे में पढ़ा. इसका भगत सिंह पर गहरा असर पड़ा. किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक सामाजवादी सोच जगी. धीरे धीरे वो कुछ संगठनों से जुड़ गए. उन्हें लगा कि क्रांति अगर यूरोप को बदल सकती है तो हिंदुस्तान को क्यों नहीं बदल सकती.

1928 में लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ हो रहे जूलूस के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों ने लाठीचार्ज का आदेश दिया. लाठीचार्ज में पंजाब केसरी अखबार के संपादक लाला लाजपत राय की मौत हो गई. पंजाब में गरम दल के नेता लाला लाजपत राय का खासा प्रभाव था. उनकी मौत ने भगत सिंह को झकझोरा. भगत सिंह ने अपने साथियों शिवराम राजगुरु, सुखदेव ठाकुर और चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले अधिकारी की हत्या की साजिश रची.

अगले ही साल 1929 में भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त और राजगुरु के साथ असेंबली में बम धमाके की योजना बनाई. भगत सिंह और बटुकेश्वर ने एक एक बम फेंका. धमाके में किसी की मौत नहीं हुई लेकिन ये बड़ी खबर बन गई. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. देर सबेर राजगुरु को भी गिरफ्तार कर लिया गया. जेल में कैद रहने के दौरान भगत सिंह ने डायरी और किताबें भी लिखी. उनकी डायरी से पता चला कि वो कार्ल मार्क्स, फ्रीडरिष एंगेल्स और लेनिन के विचारों से प्रभावित थे. हालांकि भगत सिंह ने कभी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता नहीं ली.

अदालती सुनवाई के दौरान भगत सिंह ने अपनी बात अखबारों के जरिए दुनिया भर तक पहुंचाने की कोशिश की. अदालत ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई.

23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में तीनों को फांसी दे दी गई. शाम को दी गई फांसी की खबर अगले दिन ब्रिटेन के द ट्रिब्यून अखबार में पहले पन्ने की पहली खबर थी. वैसे कुछ इतिहासकार भगत सिंह को हिंसक विद्रोही भी मानते हैं. उनके मुताबिक भगत सिंह ने क्रांति को जो रास्ता चुना था वह हिंसक था.

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