इंदर कुमार गुजराल का राजनीतिक जीवन
३० नवम्बर २०१२जून 1975 के अस्थिर समय में गुजराल भारत के सूचना और प्रसारण मंत्री रहे.
1980 के दशक में वह कांग्रेस छोड़ कर जनता दल में शामिल हो गए.
1989 में उन्हें रुबैया सईद के अपहरण के मामले में अगवा करने वालों से बातचीत करने श्रीनगर भेजा गया.
1991 में कुवैत पर इराक के आक्रमण के दौरान कैबिनेट में उनकी भूमिका काफी अहम थी. इस घटना ने ही खाड़ी युद्ध की बुनियाद रखी.
1992 में गुजराल को राज्य सभा का सदस्य चुना गया. वह जनता दल के अहम नेता बने रहे.
1996 में यूनाइटेड फ्रंट की सरकार बनी. एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने और गुजराल को विदेश मंत्री बनाया गया. दूसरे कार्यकाल में पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंधों के बारे में उन्होंने गुजराल डॉक्टरीन बनाया.
1997 में कांग्रेस ने सरकार से अपना बाहरी समर्थन हटाने का फैसला किया. इसके बाद यूनाइटेड फ्रंट की सरकार गिर गई
12 अप्रैल 1997 को गुजराल भारत के प्रधानमंत्री बने. इस दौरान सरकार ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने का विवादित फैसला भी लिया.
मार्च 1998 में गुजराल जालंधर से अकाली दल के समर्थन में चुनाव लड़े. इस चुनाव में गुजराल ने कांग्रेस के उन्नाव सिंह को भारी मतों से हराया.
12वीं लोक सभा में गुजराल ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का विरोध किया.
1999 के चुनावों में गुजराल ने भाग नहीं लिया और सक्रिय राजनीति से हटने का फैसला किया.
एएम/एनआर (पीटीआई)