इंटरनेट पर काम या मजे
२५ नवम्बर २०१३पहले घर पर एक कंप्यूटर भी मुश्किल से हुआ करता था, और आज हम मुट्ठी में अपने फोन के अंदर ही इंटरनेट लेकर घूमते हैं. ताजा वेब आंकड़ों के अनुसार लोग इंटरनेट का इस्तेमाल काम से ज्यादा मनोरंजन के लिए कर रहे हैं. 2013 के आंकड़ों के मुताबिक जर्मनी इस मामले में 13वें नंबर पर है.
सुबह उठते ही सबसे पहले मौसम का हाल, फेसबुक और फिर मेलबॉक्स, ऐसे होती ही आजकल आमतौर पर लोगों के दिन की शुरुआत. दिनभर दफ्तर या घरेलू काम के बीच भी लोग बीच बीच में गूगल पर तरह तरह की चीजें खोजते रहते हैं. बाद में शाम के फुर्सत के पल एक बार फिर इंटरनेट के सहारे गुजरते हैं. कोई पसंदीदा टीवी सीरीज, फिल्म या यूट्यूब पर गाने सुनना आम है. खासकर जर्मन लोगों में यह प्रवृत्ति ज्यादा पाई गई है. काम और आराम दोनों के समय इंटरनेट उनका सबसे बड़ा साथी है.
हालांकि बदलते समय के साथ इंटरनेट के कई और फायदे भी सामने आए हैं जैसे राजनीतिक हालात की मालूमात और उनके प्रति जागरुकता. इसके अलावा इंटरनेट ने अरब क्रांति के दौरान लोगों को करीब लाने का काम भी किया है. इनमें सोशल मीडिया, ब्लॉग और निजी वेबसाइटों की अहम भूमिका है. इसके जरिए एक तरह की सोच वाले लोग एक दूसरे से जुड़ पाए और खास मकसद में साथ जुट पाए.
जर्मनी पीछे
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया के 81 देशों में विकास और मानव अधिकार की दिशा में इंटरनेट की भूमिका क्या रही है. इस सूचि में स्वीडन सबसे ऊपर है जबकि जर्मनी को 16वां स्थान मिला है. इस सालाना रिपोर्ट को छापने वाली संस्था वर्ल्ड वाइड वेब फाउंडेशन की शुरुआत 2009 में टिम बेर्नेर्स ली ने की.
हुम्बोल्ट इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेट सोसाइटी की निदेशक यैनेट हॉफमन ने डॉयचे वेले से कहा, "मामला सामाजिक हो तो जर्मनी काफी पीछे आता है, जैसे पर्यावरण पॉलिसी के मामले." वह मानती हैं कि जर्मनी के राजनीतिक संगठनों ने भी इंटरनेट का वैसे फायदा नहीं उठाया जैसे कि उठाया जा सकता है.
हॉफमन के अनुसार कई मामलों में जर्मन इंटरनेट यूजर कई विकासशील देशों से पीछे हैं. उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया जैसे देश भी इस मामले में जर्मनी से कहीं आगे हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार 10 फीसदी से भी कम जर्मन ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं. हॉफमन ने कहा, "यह दिखाता है कि बात जहां नए डिजिटल एप्लीकेशन की आती है तो वे झिझकते हैं." ट्विटर का इस्तेमाल राजनीतिक स्तर पर भी हो रहा है लेकिन जर्मनी इस दिशा में भी पीछे है.
हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पढ़ाने वाली मॉनिका टाडिकेन इस बात से सहमत हैं. वह कहती हैं, "कुछ साल पहले उम्मीद की जा रही थी कि इंटरनेट की मदद से यूजर देश की राजनीति को प्रभावित कर सकेंगे." कुछ लोगों का यह भी मानना था कि फेसबुक, ट्विटर, और गूगल प्लस के जरिए लोग राजनेताओं तक सीधे तौर पर अपनी बात पहुंचा पाएंगे या चर्चा में हिस्सा ले सकेंगे. टाडिकेन मानती हैं कि जर्मनी में यह उम्मीद रंग नहीं लाई.
जर्मन राजनीति में दिलचस्पी दिखाने के बजाए यहां के लोग इंटरनेट पर छुट्टियों की फोटो देखने और दिखाने या फिर जानवरों के वीडियो देखने में रुचि लेते हैं. कई लोग तो बस एक दूसरे के साथ संपर्क में रहने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.
रिपोर्ट: श्टेफानी होएपनेर/ समरा फातिमा
संपादन: ईशा भाटिया