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आसिफ ले सकते हैं ब्रिटेन में शरण

९ सितम्बर २०१०

फिक्सिंग के आरोपों से दो चार हो रहे पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहम्मद आसिफ ब्रिटेन में शरण ले सकते हैं. इन आरोपों के बाद वे शायद पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों के गुस्से से बचने के लिए उनकी नज़रों से दूर ही रहना चाहते हैं.

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घबराए आसिफतस्वीर: AP

ब्रिटिश मीडिया में ऐसी ख़बरें हैं कि स्पॉट फिक्सिंग का आरोप झेल रहे मोहम्मद आसिफ ने ब्रिटेन के आप्रवास कार्यालय में इस संबंध में पूछताछ की है.

इंग्लिश दैनिक द डेली टेलीग्राफ ने लिखा है कि पूछताछ के सिलसिले में फिलहाल इंग्लैंड में रह रहे आसिफ वहीं शरण लेने की सोच रहे हैं. ब्रिटिश टेब्लॉइड का दावा है कि शुक्रवार को वे आप्रवास मामलों के एक वकील से मिले और उनसे करीब 35 मिनट तक बातचीत की. "आसिफ ने कहा कि उन्हें डर है कि ताज़ा फिक्सिंग के आरोपों के कारण वे ख़तरनाक गैंग्स का शिकार हो सकते हैं जो ग़ैरकानूनी सट्टेबाज़ी करती हैं और अंडरवर्ल्ड से जुड़े हुए है."

Cricket Pakistan Salman Butt
तस्वीर: AP

अख़बार की रिपोर्टों के मुताबिक आसिफ ने वकील से पूछा कि ब्रिटेन में रहने का क्या तरीका है और शरण लेने की प्रक्रिया के लिए क्या करना होगा.

हालांकि वकील ने कहा, "उन्होंने सबसे पहले शरण लेने के बारे में कुछ नहीं कहा. उन्होंने पूछा कि मैं यहां कैसे रह सकता हूं. मैंने कहा छात्र बन कर रह सकते हो. यहां पढ़ाई करने के लिए आ सकते हैं या फिर यहां काम करने के परमिट के लिए आवेदन कर सकते हैं. लेकिन फिर उन्होंने शरण लेने के बारे में पूछा."

आसिफ, सलमान बट और मोहम्मद आमेर से स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस स्पॉट फिक्सिंग के बारे में पूछताछ कर रही है.

ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि आसिफ स्कॉटलैंड यार्ड और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की जांच के फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं. आसिफ ने निर्दोष होने की बात कही है.

आप्रवास मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर आसिफ ये साबित करने में सफल होते हैं कि उनके जीवन को ख़तरा है तो उन्हें शरण मिल सकती है. "मुझे लगता है कि पाकिस्तान में होने वाली उग्र प्रतिक्रिया के बारे में उन्हें बहुत चिंता है. यही उन्होंने मुझे कहा. बहुत सारी बातें हुई और यह भी कि वहां सट्टेबाज़ी करने वाले माफिया के पास बहुत ताकत है. इस पर आसिफ चिंतित दिखाई दिए." आप्रवास मामलों के वकील ने बताया, "अगर वे शरणार्थी के तौर पर आवेदन करना चाहते हैं तो हम देखेंगे कि हम उनके लिए क्या कर सकते हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः उ.भट्टाचार्य

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