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आसमान में छा रहा है अंधेरा

२३ अगस्त २०११

सुनने में बड़ा अजीब लगता है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड में अंधेरा छा रहा है. दरअसल तारों की गैस खत्म हो रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि आम इंसान इस बदलाव को नहीं महसूस कर पाएगा.

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This image from the Near Infrared Camera and Multi-Object Spectrometer (NICMOS) onboard the NASA/ESA Hubble Space Telescope shows CL J1449+0856, the most distant mature cluster of galaxies found. The image was taken in infrared light, with colour data added from ESO’s Very Large Telescope and the NAOJ’s Subaru Telescope. 2011.
तस्वीर: ESO

शक्तिशाली रेडियो टेलीस्कोप के सहारे अरबों साल पहले समय में झांकने वाले ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ब्रह्मांड की रोशनी खत्म हो रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि तारों की गैस खत्म हो रही है. खगोल वैज्ञानिक और ऑस्ट्रेलिया सरकार की विज्ञान एजेंसी सीएसआईआरओ के अंतरिक्ष प्रमुख रॉबर्ट ब्राउन के मुताबिक नए तारों के बनने के लिए महत्वपूर्ण आणविक गैस इस्तेमाल हो चुकी है और आसमान में धीरे धीरे अंधेरा बढ़ रहा है. ब्राउन की टीम ने पृथ्वी से पांच अरब प्रकाश वर्ष पहले आकाश गंगा के घनत्व की मैपिंग की और उसकी तुलना आज के 'लोकल यूनिवर्स' से की.

Herschel’s infrared image of the Andromeda Galaxy shows rings of dust that trace gaseous reservoirs where new stars are forming and XMM-Newton’s X-ray image shows stars approaching the ends of their lives. Both infrared and X-ray images convey information impossible to collect from the ground because these wavelengths are absorbed by Earth’s atmosphere.
तस्वीर: ESA/Herschel/PACS/SPIRE/J.Fritz, U.Gent/XMM-Newton/EPIC/W. Pietsch, MPE
Rettet Hubble! ** FILE ** This image taken by NASA's Hubble Space telescope, and released Thursday Aug. 12, 2004, shows nebula N44F, which, at left, is being inflated by a stellar wind, creating an interstellar bubble. Trying to save the famed Hubble Space Telescope with a robot would cost $2 billion with just a 50-50 chance of success, an aerospace research group is advising NASA in the coming days. (AP Photo / NASA,ESA, File)
तस्वीर: AP

वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की उनमें कितनी गैस बची हैं और किस दर से नए तारे बन रहे हैं. ब्राउन कहते हैं, "तारों के बनने की दर कम हुई है. यह पता चला है कि आकाशगंगा में वास्तव में 10 गुना अधिक गैस थी जिसका इस्तेमाल तारों के बनने में होता था. अब हम वह गैस नहीं देख पा रहे हैं जो तारों के बनने के लिए जिम्मेदार होती है."

8 अरब साल पहले ब्रह्मांड की शक्ति में बदलाव हुआ था जिस कारण तारों की संख्या घट रही है. बदलाव के कारण अब भी रहस्य बने हुए हैं. गुरुत्वाकर्षण की जगह डार्क एनर्जी ने ले ली. पिछले कुछ अरब सालों में एक दूसरे से दूर करने वाली शक्तियों ने ब्रह्मांड के विस्तार में अहम भूमिका निभाई है. ब्राउन के मुताबिक, "गुरुत्वाकर्षण खींचता है,

लेकिन यह डार्क एनर्जी एक दूसरे से दूर करने का काम करती है. आदर्श स्थिति में गैस सप्लाई जारी रहने पर ब्रह्मांड में एक तारा दो अरब साल तक रहता है. मनुष्य की जिंदगी इतनी छोटी है कि इस दौरान ब्रह्मांड के अंधेरे पर गौर कर पाना मुश्किल है. लेकिन ब्राउन के मुताबिक अगर कोई एक अरब साल तक जिंदा रहता है तो वह आसमान में नाटकीय रूप से चीजों को बदलता हुआ देख सकता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/आमिर अंसारी

संपादन: आभा एम