आर्थिक संकट में रूखी मांएं
७ अगस्त २०१३प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकडेमी ऑफ साइंसेस में छपी स्टडी के अनुसार अगर आनुवांशिक भिन्नता पर नजर डाली जाए तो माहौल का बर्ताव पर गहरा असर पड़ सकता है. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता दोहून ली का कहना है कि मुश्किल दौर में लालन पालन पर असर मामूली ही था लेकिन बहुत अहम था.
उन्होंने बताया कि बेरोजगारी की दर में हर 10 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ संवेदनशील जीन वाली महिलाओं में सख्त बर्ताव 2.3 ज्यादा हो गया जबकि कुल मिला कर यह 1.6 ज्यादा हुआ.
शोधकर्ताओं ने सख्त पैरेंटिंग को पांच-पांच मनोविज्ञान और शारीरिक पैमानों पर मापा. शारीरिक मानकों में चिल्लाना, डराना, पिटाई और तमाचा मारना जैसी चीजें शामिल थीं. फ्रेजाइल फेमिलीज एंड चाइल्ड वेलबीइंग नाम के इस शोध में करीब 2,600 महिलाओं के डाटा का विश्लेषण किया गया है. इस शोध में शामिल लोगों में 20 बड़े अमेरिकी शहरों के 5,000 बच्चे भी हैं जो 1998 से 2000 के बीच पैदा हुए.
इनकी मांओं का बच्चे की पैदाइश के समय, फिर तीन साल, पांच साल और नौ साल बाद इंटरव्यू किया गया. नवें साल में महिलाओं के डीएनए सैंपल भी लिए गए.
जिन महिलाओं में डीआरडी2 टीएक्यू1ए जीनोटाइप था, उन्होंने अर्थव्यवस्था के बुरे दौर में यानी 2007 से 2009 के बीच ज्यादा रुखा व्यवहार दिखाया.
जीन में फर्क डोपेमीन के निकलने से जुड़ा होता है. यह रसायन धमकी और ईनाम की स्थिति में इंसानी व्यवहार को प्रभावित करता है. शोध के मुताबिक संवेदनशील जीनोटाइप वाली महिलाओं का व्यवहार उनके पति की तुलना में गिरती अर्थव्यवस्था के दौरान खराब था और बेहतरी में अच्छा.
पहले हुए शोध दिखाते हैं कि इस जीन वाले लोग प्रतिक्रियात्मक आक्रामकता का आसानी से शिकार हो जाते हैं. शोधकर्ताओं ने कंज्यूमर सेंटीमेंट इनडेक्स और शहर की बेरोजगारी दर से अर्थव्यवस्था की नब्ज आंकी. हालांकि परिवारों की आय में बदलाव देखा गया, लेकिन मैक्रोइकोनॉमिक्स के हालात वैसे ही रहे, जबकि नौकरी खोने से परिवार पर हुआ असर आंकड़े के लिहाज से अहम नहीं था.
शोधकर्ताओं ने चेतावनी भी दी है कि इस नतीजे को समझने में सावधानी की जरूरत है क्योंकि दो इंटरव्यू के बीच आय में कमी और रुखेपन के बीच संबंध देखा गया. आय कम होने पर व्यवहार रुखा हुआ.
कुल मिला कर यह शोध दिखाता है कि कुछ मां बाप दूसरों की तुलना में ज्यादा कठोर क्यों होते हैं. शोध की सह लेखिका और कोलंबिया यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ सोशल वर्क की प्रोफेसर इरविन गारफिंकल बताती हैं, "संवेदनशील जीन्स वाले लोग ऑर्किड्स जैसे होते हैं जो खराब माहौल में मुरझा जाते हैं या सूख जाते हैं. लेकिन अच्छे माहौल में खूब बढ़ते हैं. जबकि दूसरे डैंडिलियोंस पौधों की तरह हर माहौल में फलते फूलते हैं.
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की समाजशास्त्री सैरा मैकलैनहैन कहती हैं कि खराब हालात के डर से लोगों का व्यवहार निगेटिव हो सकता है. "लोग बुरे हालात के साथ खुद को ढाल सकते हैं बशर्ते वे जानते हों कि उनके सामने क्या चुनौती है. जबकि भविष्य की अनिश्चितता का सामना करना मुश्किल है."
एएम/एमजे (एएफपी)