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आमिर की टिप्पणी से बरपा हंगामा

समरा फातिमा२४ नवम्बर २०१५

भारत में बढ़ रही असहिष्णुता पर आमिर खान की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बहस रुकने का नाम नहीं ले रही. आमिर ने कहा कि एक बार तो उनकी पत्नी ने सवाल उठाया था कि क्या उन्हें देश छोड़ देना चाहिए.

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तस्वीर: STRDEL/AFP/Getty Images

पत्रकारिता के प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह के दौरान आमिर खान ने देश के वर्तमान माहौल पर चिंता जताई. आमिर की टिप्पणी के बाद उनके समर्थन और विरोध दोनों में ही लोग सोशल मीडिया पर उतर आए. उन्होंने कहा कि पिछले 6-7 महीनों में माहौल काफी बदला है. उन्होंने कहा ये बहुत ही दुर्भगाय्पूर्ण बात थी कि किरण ने उनके सामने यह सवाल रखा कि क्या उन्हें देश छोड़ देना चाहिए.

उन्होंने बताया कि किरण को हर रोज अखबार खोलने में डर लगता है. उन्हें लगता है कि ऐसा माहौल उनके बच्चे के लिए बुरा हो सकता है. आमिर ने कहा कि स्वभाविक है कि इस तरह की बातों से उन्हें दुख होता है. आमिर ने इस कार्यक्रम में यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति जो हाथ में कुरान लेकर मासूमों की जान लेता है वह मुसलमान नहीं हो सकता.

आमिर के साथ चर्चा में जल्द ही छा गए अनुपम खेर भी, जिन्होंने अपने ट्वीट में लिखा "डियर आमिर, क्या तुमने किरण को बताया है कि तुम देश में इससे भी ज्यादा बुरे हालात में रहे हो लेकिन तब तुमने देश छोड़ने के बारे में नहीं सोचा." साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में आमिर से पूछा कि किरण किस देश में जाकर रहना चाहेंगी? उन्होंने आगे लिखा, "क्या तुमने उसे बताया कि इस देश ने ही तुम्हें आमिर खान बनाया है?"

वहीं आमिर के असहिष्णुता और देश में माहौल पर बयान पर कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि यह बीजेपी की सरकार को बदनाम करने की साजिश है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिज्जू ने कहा कि कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर समाज को साथ मिलकर उनका सामना करने की जरूरत है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के रहते देश में असहिष्णुता बढ़ने जैसी टिप्पणी करना, यह सही नहीं है.

सोशल मीडिया पर आमिर को जिस तरह की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है उतनी ही बड़ी तादाद उनके समर्थकों की भी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया कि आमिर खान के एक-एक शब्द सत्य हैं और वे आमिर की सराहना करते हैं. केजरीवाल ने केंद्र सरकार से लोगों के मन में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है.

असहिष्णुता के मुद्दे के उठाते हुए कलाकारों, लेखकों और इतिहासकारों के पुरस्कार वापस किए जाने के बारे में आमिर ने कहा यह अपनी बात सामने रखने का एक तरीका है. उन्होंने कहा, "रचनात्मक लोगों के लिए वह कहना जरूरी है जिस बात को वे अहम मानते हैं." उन्होंने कहा कि पुरस्कारों का लौटाया जाना भी असंतुष्टि और खेद जताने का एक तरीका है.

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