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आपको भी विटामिन-डी की कमी तो नहीं?

१९ फ़रवरी २०१८

शीशे से बंद एयरकंडीशनिंग वाले घर और दफ्तर भले ही आरामदायक महसूस होते हों, लेकिन ये आपकी हड्डियों को खोखला बना रहे हैं.

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Sonne in Händen
तस्वीर: velora/Fotolia

आधुनिक जीवनशैली की प्रतीक माने जाने वाले ऐसे घर और दफ्तर न केवल ताजा हवा, बल्कि धूप से भी लोगों को वंचित करते हैं, जिस कारण शरीर में विटामिन-डी की कमी होती है और हड्डियां कमजोर होती हैं. नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ अस्थिशल्य चिकित्सक डॉक्टर राजू वैश्य ने देश के अलग-अलग शहरों में जोड़ों में दर्द एवं के एक हजार मरीजों पर अध्ययन कर पाया कि ऐसे मरीजों में से 95 प्रतिशत मरीजों में विटामिन-डी की कमी होती है और इसका एक मुख्य कारण पर्याप्त मात्रा में धूप न मिलना है.

आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर राजू वैश्य ने बताया कि दरअसल विटामिन-डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी है, जो हड्डियों के अलावा पाचन क्रिया में भी बहुत उपयोगी है. व्यस्त दिनचर्या और आधुनिक संसाधनों के कारण लोग तेज धूप नहीं ले पाते. खुले मैदान में घूमना-फिरना और खेलना भी बंद हो गया है. इस कारण धूप के जरिए मिलने वाला विटामिन-डी उन तक नहीं पहुंच पाता. जब भी किसी को घुटने या जोड़ों में दर्द होता है, तो उसे लगता है कि कैल्शियम की कमी हो गई है, जबकि विटामिन-डी की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.

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डॉक्टर वैश्य का कहना है अगर कैल्शियम के साथ-साथ विटामिन-डी की भी समय पर जांच करवा ली जाए तो गठिया को बढ़ने से रोका जा सकता है. डॉक्टर वैश्य के अनुसार, बचपन में खानपान की गलत आदतों व कैल्शियम की कमी के कारण आर्थराइटिस के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस की भी संभावना बहुत अधिक होती है. ऑस्टियोपोरोसिस में कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों का घनत्व एवं अस्थिमज्जा बहुत कम हो जाता है. साथ ही हड्डियों की बनावट भी खराब हो जाती है, जिससे हड्डियां अत्यंत भुरभुरी और अतिसंवेदनशील हो जाती हैं. इस कारण हड्डियों पर हल्का दबाव पड़ने या हल्की चोट लगने पर भी वे टूट जाती हैं.

डॉक्टर वैश्य बताते हैं कि सबसे ज्यादा चिंता की बात है कि वर्तमान पीढ़ी कम कैल्शियम वाला आहार और विटामिन-डी की अपर्याप्त मात्रा ले रही है, जिससे उनमें हड्डियों का घनत्व कम और हड्डियां कमजोर हो रही हैं. अमेरिकन सोसाइटी फॉर बोन एंड मेडिकल रिसर्च में पेश किए गए एक शोधपत्र में बताया गया है कि प्रतिदिन केवल एक पेय पदार्थ जैसे कोला पीने वाली महिलाओं की तुलना में प्रतिदिन तीन कोला पीने वाली महिलाओं के कूल्हे की हड्डियों का घनत्व 2.3 से 5.1 प्रतिशत तक कम पाया गया.

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ऐसे में डॉक्टर वैश्य का सुझाव है कि बड़ी उम्र में होने वाले इस रोग से बचपन में ही बचाव किया जा सकता है. अगर बच्चों को खासकर किशोरावस्था में प्रतिदिन 1200 से 1300 मिलीग्राम कैल्शियम दिया जाए तो वे इस बीमारी से बच सकते हैं. लेकिन आंकड़ों के अनुसार, आम तौर पर बच्चे 700 से 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का ही सेवन करते हैं.

आईएएनएस/आईबी

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