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आधा ईरान नहीं चाहता सिर ढंकने का कानून

एलिजाबेथ शूमाखर
६ फ़रवरी २०१८

ईरान में लोगों का रुख महिलाओं के पहनावे को लेकर तेजी से बदला है. देश की आधी आबादी मानती है कि हिजाब पहनना किसी की निजी पसंद हो सकता है. यह बात कोई और नहीं बल्कि स्वयं ईरान का राष्ट्रपति कार्यालय कह रहा है.

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Iranerinnen legen aus Protest Kopftuch ab
तस्वीर: picture alliance/abaca

ईरान सरकार का एक हालिया अध्ययन बताता है कि लोगों में अब हिजाब की अनिवार्यता को लेकर असंतोष बढ़ रहा है. इस रिपोर्ट के कुछ दिन पहले ही स्थानीय पुलिस ने हिजाब के विरोध में प्रदर्शन कर रही 29 महिलाओं को गिरफ्तार किया था. इस स्ट्डी में साल 2006, 2007, 2010 और 2014 के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है. हिजाब को देश में साल 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद महिलाओं के लिए अनिवार्य कर दिया गया था.

देश के सेंटर ऑफ स्ट्रैटिजिक स्ट्डीज के मुताबिक, साल 2006 में महज 34 फीसदी ईरानी मानते थे कि सरकार को महिलाओं के पहनावे को लेकर अपने नियम-कानून नहीं बनाने चाहिए. लेकिन साल 2014 तक यह आंकड़ा बढ़कर 49 फीसदी हो गया. सेंटर ऑफ स्ट्रैटिजिक स्ट्डीज ईरान के राष्ट्रपति कार्यालय के एक हिस्से के रूप में काम करता है.

एक महिला ने नाम न बताने की शर्त पर डीडब्ल्यू से कहा कि अगर आज यह सर्वे होता है तो यह संख्या और भी बढ़ जाएगी. स्ट्डी में यह भी कहा गया कि अब लोगों में महिलाओं के पहनावे को लेकर धार्मिक कट्टरता कम हुई है. साल 2006 में जहां 54 फीसदी लोग मानते थे कि महिलाओं को बुरका ही पहनना चाहिए, वहीं 2014 तक यह संख्या 35 फीसदी हो गई है. 

सर्वे में लोगों से जब पूछा गया कि क्या सरकार को उन महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो बिना हिजाब के चलते पकड़ी गई. साल 2006 में देश की करीब आधी आबादी को लगता था कि सरकार को इसके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. लेकिन तीन साल बाद यह आंकड़ा 39 फीसदी पर सिमट गया है.

रोहानी का हाथ

हालांकि इस तरह की स्ट्डी का राष्ट्रपति हसन रोहानी के कार्यालय से प्रकाशित होना थोड़ी अटपटा लग सकता है. क्योंकि बीते कुछ समय में देश में पुलिस ने हिजाब के विरोध में चल रहे आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों पर ज्यादा कार्रवाई की है. कहा जा रहा है कि रोहानी ने एक राजनीतिक चाल चली है. इसके पहले भी राष्ट्रपति रोहानी ने दिसंबर में प्रकाशित सरकार के बजट पर दावा किया गया था कि उसमें पूरी पारदर्शिता दिखाई गई है. पिछले कुछ समय में देश के खराब आर्थिक हालातों को लेकर कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में पुलिस के साथ टकराव के चलते करीब 21 प्रदर्शनकारियों की मौत भी हो गई. हालांकि देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई सरकार के विरोध में हो रहे इन प्रदर्शनों में विदेशी ताकतों का हाथ बताते हैं. लेकिन राष्ट्रपति रोहानी कहते रहे हैं कि सरकार को बेहतर ढंग से जनता की बात सुननी चाहिए. हिजाब के विरोध में महिलाएं न सिर्फ खुले आम प्रदर्शन कर रहीं हैं बल्कि अपनी इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट भी करती रही हैं. जो पिछले समय में काफी वायरल हुई हैं. इसके बाद अब यह स्ट्डी आई है.

एए/ओएसजे