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आत्मदाह की आग पहुंची तिब्बत की राजधानी ल्हासा

२८ मई २०१२

चीन का विरोध करते हुए तिब्बत की राजधानी ल्हासा में दो तिब्बतियों ने खुद को आग लगा ली. मार्च 2011 से अब तक 31 तिब्बतियों ने विरोध के तौर पर आत्मदाह किया है.

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तस्वीर: S.Braun

पुलिस ने वैसे तो दो मिनट के अंदर आग बुझा दी लेकिन फिर भी गंभीर रूप से जलने के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई. दूसरा व्यक्ति भी बुरी तरह जल गया है.

यह घटना पार्गर या बार्खर नाम की सड़क पर हुई. शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने लिखा है कि ल्हासा के सबसे व्यस्त इलाके में, जोखांग मंदिर के पास इन दो तिब्बतियों ने आत्मदाह किया. न्यू यॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में तिब्बत मामलों के जानकार रॉबी बार्नेट ने बताया कि उन्हें तिब्बत से आत्मदाह की खबरें मिली.

बार्नेट ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी में कहा, "चीनी अधिकारियों के लिए इसके गंभीर परिणाम है. और यह घटना संकेत देती है कि आंदोलन तिब्बत में फैल चुका है. इसके कारण पाबंदियों और नियंत्रण तेजी से बढ़ सकता है." समाचार की पुष्टि और जानकारी के लिए तिब्बत और ल्हासा के अधिकारियों ने टेलीफोन नहीं उठाया.

अमेरिकी रेडियो फ्री एशिया के मुताबिक "ल्हासा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों का कड़ा पहरा है और स्थिति बहुत तनावपूर्ण है." तिब्बत में अभी तक सिर्फ एक ही व्यक्ति ने आत्मदाह किया था. बाकी आत्मदाह की घटनाएं चीन के उत्तर पश्चिमी तिब्बती इलाकों में हुई थीं.

China Dissident Fang Lizhi
तस्वीर: AP

शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने तिब्बत में कम्यूनिस्ट पार्टी के राजनीतिक और कानूनी कमीशन के हाओ पेंग के हवाले से लिखा है, "तिब्बत के दूसरे इलाकों में आत्मदाह की घटनाएं जारी हैं और इन सबका उद्देश्य तिब्बत को चीन से अलग करना है."

मार्च 2011 से अब तक तिब्बत सहित भारत में 34 तिब्बतियों ने आत्मदाह कर लिया जिसमें से कम से कम 24 की मौत हो गई. चीन आत्मदाह करने वालों को आतंकवादी करार देता है. और निर्वासित तिब्बतियों और उनके नेता दलाई लामा को जिम्मेदार मानता है. बीजिंग दलाई लामा को अलगाववादी नेता बताता है. जबकि दलाई लामा का कहना है कि वह तिब्बत के लिए ज्यादा स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं.

एएम/एमजी (रॉयटर्स, एएफपी)

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