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आतंकवादी गुटों से बातचीत को तैयार पाकिस्तान

१२ मार्च २०१२

पाकिस्तान तालिबान समेत इस्लामी चरमपंथी संगठनों की सूची फिर से तैयार कर रहा है. पाकिस्तान ने कहा है कि अगर प्रतिबंधित संगठन अपने जंगी गुटों को बंद कर दें तो उन पर से पाबंदियां हटा दी जाएंगी.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान ने 30 से ज्यादा जंगी गुटों पर  सरकार ने पाबंदी लगा रखी है. इनमें अल कायदा, तहरीक ए तालिबान और लश्कर ए तैयबा भी शामिल हैं. लश्कर ए तैयबा पर भारत और अमेरिका ने 2008 के मुंबई हमलों का आरोप है. पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "अगर प्रतिबंधित संगठन हमें यह भरोसा दिला दें कि उन्होंने अपने हथियारबंद गुटों को बंद दिया है और चरमपंथ छोड़ दिया है तो हम उनसे अगले कुछ दिनों में मिलना चाहेंगे."

इस तरह के संगठनों पर लगाम न कसने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अमेरिका की तरफ से भी पाकिस्तान को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है. इनमें से कई संगठन नाम बदल कर कर बड़ी आसानी से अपनी आतंकवादी कार्रवाइयों को अंजाम देते रहते हैं. लश्कर ए तैयबा का जनक माने जाने वाले जमात उद दावा जैसे संगठन को संयुक्त राष्ट्र ने काली सूची में डाल रखा है लेकिन पाकिस्तान में उस पर पाबंदी नहीं है.

पिछले कुछ समय से बड़े आतंकवादी हमलों में कमी आई है लेकिन पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी सरहदी इलाके में बम हमले बढ़ गए हैं. इन सबके लिए तालिबान और उसके सहयोगी संगठनों पर आरोप लग रहे हैं. पाकिस्तानी गृह मंत्री ने कहा, "कई प्रतिबंधित संगठनों ने हमसे संपर्क करके कहा है कि वो हमारे साथ बैठ कर बात करना चाहते हैं. अगर वो चरमपंथ छोड़ दें तो हम उनसे बात करेंगे क्योंकि हम प्रतिबंधित संगठनों की सूची की छानबीन कर रहे हैं." मलिक ने किसी गुट का नाम नहीं लिया लेकिन कहा कि सरकार ने, "यहां तक कि तालिबान को भी जंग छोड़ संघ में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है."

समाचार एजेंसी एएफपी के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2007 में एक इस्लामाबाद की एक मस्जिद पर सेना के हमले के बाद से इस्लामी आतंकवादियों ने पूरे पाकिस्तान में 4900 लोगों को मारा है. सेना बताती है कि इस दौर में उसके 3000 सैनिक मारे गए हैं. सिर्फ 2011 में ही पाकिस्तान में 120 बम हमले हुए  जो 2010 में हुए 96 हमलों से तो ज्यादा हैं लेकिन 2009 में हुए 203 बम हमलों से काफी कम हैं.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः आभा एम

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