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आठ महीने से चर्बी में डाईऑक्सीन की मिलावट थी

७ जनवरी २०११

जर्मनी में जानवरों के लिए खाना बनाने वाली कंपनियों को चर्बी बेचने वाली कंपनी मार्च 2010 से चर्बी में डाईऑक्सीन के अत्यधिक स्तर के बारे में जानती थी. चर्बी की मिलावट से जहरीले हुए अंडे ब्रिटेन और नीदरलैंड्स पहुंचे.

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तस्वीर: dapd

श्लेसविग होलस्टाइन के कृषि मंत्रालय ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि हैम्बर्ग के उत्तर पश्चिम में उटरसन की हार्लेस और येंच कंपनी को आठ महीने पहले से चर्बी में डाईऑक्सीन की अधिक मात्रा के होने के बारे में जानकारी थी. उन्हें अपनी जांच में इस तथ्य की पुष्टि हो गई थी. मंत्रालय ने कहा कि हार्लेस और येंच को इस बारे में अधिकारियों को तुरंत सूचित करना चाहिए था. हालांकि बाद में यह मात्रा अनुमानित मात्रा से कम हो गई थी क्योंकि चर्बी को दूसरे पदार्थों के साथ मिलाया गया जिससे जानवरों का खाना बनता है. मंत्रालय का कहना है कि इस चर्बी को बेचा ही नहीं जाना चाहिए था.

डीपीए समाचार एजेंसी ने लिखा है कि हार्लेस और येंच ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं दी है. यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि जर्मनी में जिन मुर्गियों को डाईऑक्सिन से प्रदूषित चुग्गा डाला गया उनके अंडे नीदरलैंड्स और ब्रिटेन को निर्यात किए गए हैं. निर्धारित मात्रा से दुगना डाईऑक्सिन अंडों में होने की आशंका है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि डाईऑक्सीन का स्तर अंडों में बहुत कम है उससे लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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उत्तरी जर्मनी की कंपनी से शुरू हुआ घोटालातस्वीर: dapd

क्या है डाईऑक्सीन

डाईऑक्सीन एक अति जहरीला रासायनिक पदार्थ है जो पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले पदार्थों में बनता है. चाहे वह कचरा जलाने के बाद या धातु पिघलाने के दौरान बनता है. यह इतना जहरीला होता है कि इसकी छोटी से छोटी मात्रा शरीर को हानि पहुंचाती है. जरूरी नहीं है कि इसकी मात्रा लेते ही आप बीमार हों लेकिन यह धीमे जहर की तरह काम करता है. यह मनुष्य के हार्मोन्स को नुकसान पहुंचाता है कोशिका में जा कर उसकी संरचना को ही बदल देता है. जीन में गड़बड़ी से पैदा हुई बीमारियां दो तीन पीढ़ियों के बाद सामने आ सकती हैं. यह पानी, दूध, मांस मछली के जरिए आसानी से मनुष्य के शरीर में जाता है. पेपर ब्लीचिंग में भी डाईऑक्सीन बनता है. जो ब्लीच्ड कॉफी फिल्टर का इस्तेमाल करते हैं वह सीधे डाईऑक्सीन के संपर्क में आते हैं.

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दूध, पोर्क, चीज के बाद अब अंडे में डाईऑक्सीन की ज्यादा मात्रातस्वीर: dapd

पहली बार

वियतनाम में पहली बार इसका दुष्प्रभाव देखा गया जब वहां के लोग एजेंट ऑरेंज के संपर्क में आए. पेपर ब्लीचिंग के कारण दुनिया भर के कई शहरों में पानी प्रदूषित हो गया. चाहे वह नियाग्रा फॉल्स का लव कैनल हो, इटली का सोवेसो. मिसोरी का टाइम्स बीच, फ्लोरिडा का पेन्सैकोला, मिडलैंड या मिशिगन हो.

कैसे बचें

गोमांस और सुअर के मांस में सबसे ज्यादा डाईऑक्सीन होता है जो खाद्य श्रृंखला के जरिए उनके शरीर में पहुंचता है. ज्यादा वसा वाली वस्तुओं में भी यह होता है. दूध, मलाई, मक्खन, बटर, क्रीम में इसकी मात्रा ज्यादा होती है इसलिए स्किम्ड मिल्क पीना ठीक है. डॉक्टरों का कहना है कि जो महिलाएं बच्चे चाहती हैं उन्हें तुरंत हाई वसा वस्तुएं खाना पीना बंद कर देना चाहिए. क्योंकि डाईऑक्सीन की अधिक मात्रा से गर्भपात का खतरा है.

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प्रति दिन बहुत अल्प मात्रा डाईऑक्सीन की सुरक्षित मानी जाती है.तस्वीर: dapd

पहली बार नहीं

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि मांस में डाईऑक्सीन की मात्रा ज्यादा पाई गई हो. 2004 में नीदरलैंड्स में दूध में डाईऑक्सीन की ज्यादा मात्रा मिली. 2008 में आयरलैंड ने पोर्क और उससे जुड़े उत्पाद वापस मंगवा लिए क्योंकि उसमें सुरक्षित से 200 गुना ज्यादा जहरीला कैमिकल था. आमतौर पर गाय, बैल, मुर्गियां, भेड़ बकरियां घास खाने वाले जानवर हैं लेकिन हमारे फायदे के लिए. मांस के ज्यादा उत्पादन के लिए हम उन्हें अतिरिक्त हारमोन, प्रोटीन, एंटिबायोटिक देते हैं. इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर होता है. इसी का एक उदाहरण है मैड काऊ बीमारी. इसमें गाय का दिमाग और रीढ़ की हड्डी स्पंज जैसी हो जाती है. मैड काऊ बीमारी इन्सान में भी फैलती है और इससे उसकी मौत होती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादन: एस गौड़

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