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आजादी नहीं, सार्थक स्वायत्तता चाहिएः दलाई लामा

७ जून २०१०

तिब्बतियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने फिर साफ किया है कि वह तिब्बत के लिए आजादी नहीं बल्कि "सार्थक" स्वायत्तता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि तिब्बती अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए अपना लड़ाई लड़ते रहेंगे.

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स्वायत्तता के समर्थकतस्वीर: DW

जम्मू कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के एक बौद्ध मठ में सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे दलाई लामा से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या तिब्बतियों को चीन से आजादी मिल पाएगी तो उन्होंने कहा, "हम आजादी नहीं मांग रहे हैं. हम तिब्बत के लिए सार्थक स्वायत्तता चाहते हैं, जो भाषा समेत तिब्बती संस्कृति को सुरक्षित रखने की गारंटी दे. हर तिब्बती अब आधुनिक तिब्बत चाहता है. इसलिए जहां तक विकास की बात है तो यह सब लोगों के हित में है."

दलाई लामा तिब्बत की स्वायत्तता के लिए दुनिया भर में घूम घूम कर समर्थन जुटाते रहे हैं, हालांकि चीन उन्हें एक अलगाववादी नेता बताता है जिसका मकसद तिब्बत को चीन से अलग करना है. इसीलिए तिब्बती आध्यात्मिक नेता से दुनिया भर के नेताओं की मुलाकात पर चीन तीखा विरोध जताता रहा है.

रविवार को दलाई लामा ने दुनिया भर में शांति और सौहार्द के लिए विशेष प्रार्थना की. उन्होंने कहा, "सभी धर्मों के बीच एकता से ही विश्व में शांति मुमकिन है." उन्होंने कहा कि दुनिया भर के नेताओं को आगे आकर 21वीं सदी को हिंसा मुक्त युग बनाना चाहिए.

दलाई लामा पहली बार लेह और लद्दाख के बीच पड़ने वाले पद्दार इलाके के दौरे पर पहुंचे हैं. यहां पर 7 हजार बौद्ध रहते हैं. यहीं गुलाबगढ़ नाम की छोटी सी जगह है जहां सदियों पुराना लोसाने बौद्ध मठ है. इसी जगह पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन