मांग छोड़ने के लिए कैटेलोनिया के पास 8 दिन
१२ अक्टूबर २०१७स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राखोय ने कैटेलोनिया सरकार को एकतरफा आजादी की घोषणा न करने को कहा है. उन्होंने आजादी की मांग छोड़ने के लिए कैटेलोनिया को 8 दिन का वक्त दिया है. ऐसा न होने पर स्पेन कैटेलोनिया की राजनैतिक स्वायत्ता स्थगित कर देगा और कैटेलोनिया पर सीधे शासन करेगा.
संभावना है कि राखोय आकस्मिक चुनाव की घोषणा करेंगे. संविधान के अनुच्छेद 155 के तहत उन्हें यह अधिकार है कि वह कैटेलोनिया की सरकार को बर्खास्त कर सकते हैं.
कैटेलोनिया के नेता पुजदेमोन ने स्पेन से अलग होने के जनमत संग्रह के बाद स्वतंत्रता की एक प्रतीकात्मक घोषणा की थी, लेकिन संसद में औपचारिक घोषणा के वक्त उन्होंने कैटेलोनिया की एकतरफा स्वतंत्रता की घोषणा को टाल दिया और कहा कि वे स्पेन की सरकार से बातचीत करेंगे.
राखोय ने एक टेलीविजन इंटरव्यू में कहा, "संसद कैटेलोनिया की सरकार से यह मांग करने पर सहमत हुई है कि वह स्पेन से स्वतंत्र होने की अपनी स्थिति को स्पष्ट करे."
हो सकता है अनुच्छेद 155 लागू
उन्होंने यह भी कहा कि कैटेलोनिया सरकार के पास 16 अक्टूबर तक का वक्त है. अगर कैटेलोनिया के नेता यह स्पष्ट करते हैं कि उन्होंने आजादी की घोषणा कर दी है तो उन्हें तीन दिन का समय और मिलेगा. 19 अक्टूबर तक उन्हें अपनी मांग को बदलना होगा वरना अनुच्छेद 155 लागू किया जायेगा.
विश्लेषकों का कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं है कि कैटेलोनिया की सरकार स्पेन की सरकार का जवाब देगी या नहीं लेकिन यह साफ है कैटेलोनिया की सरकार फिलहाल एक बड़ी समस्या में फंस गई है.
अगर पुजदेमोन कहते हैं कि उन्होंने आजादी की घोषणा की थी तो केंद्र सरकार स्थिति में दखल देगी. अगर वे कहते हैं कि उन्होंने आजादी की घोषणा नहीं की तो धुर वामपंथी पार्टी सीयूपी अल्पसंख्यक मत वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेगी.
लोगों में असमंजस
लंदन की एक रिसर्च फर्म टेनेओ इंटेलीजेंस के उप निदेशक अंटोनियो बरोसो का कहना है कि स्पेन के प्रधानमंत्री राखोय के दो लक्ष्य हैं. पहला, अगर पुजदेमोन अस्पष्ट रहते हैं, तो उनका स्वतंत्रता समर्थित आंदोलन एकदम कमजोर पड़ जाएगा. दूसरा, अगर कैटेलोनिया स्वतंत्रता की घोषणा करता है तो वे अनुच्छेद 155 लागू कर देंगे.
कैटेलोनिय के नेता पुजदेमोन की अस्पष्ट स्थिति से लोगों में भी असमंजस बना हुआ है. लोगों के मन में यह डर है कि स्पेन कैटेलोनिया के खिलाफ खड़ा होगा. हालांकि, कुछ लोगों का अब भी यही मत है कि अब यह आंदोलन इतना बड़ा रूप ले चुका है कि यहां से कदम पीछे नहीं लौटाए जा सकते.
एसएस/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)