आकाश में इमारतें लटकाने की तैयारी
जमीन पर बेहद ऊंची इमारत बनाना कोई नई बात नहीं. लेकिन क्या ऐसी इमारतों को हवा में भी उड़ाया जा सकता है. जी हां, देखिये कैसे इसकी तैयारी हो रही है.
पिंडों पर लटकती इमारतें
धरती पर जमीन सीमित है, इसी वजह से अब भवन निर्माण के लिए पानी और आकाश का रुख किया जा रहा है. क्लाउड आर्किटेक्ट्स ने अब पिंडो पर इमारतें लटकाने का ड्राफ्ट बनाया है. इसी तर्ज पर बनाया जाने वाला अनालेम्मा टावर तो दुनिया का सबसे ऊंचा टावर बन सकता है.
क्लाउड आर्किटेक्चर
ऐसी इमारतों की नींव के लिए धरती की नहीं बल्कि पृथ्वी का चक्कर काटते पिंडों की जरूरत है. धरती से हजारों किलोमीटर ऊपर घूम रहे पिंडों पर मजबूत और लंबे तार लगाने की योजना है. ये मजबूत तारें ही इमारतों को लटकाएंगी.
कोरी कल्पना नहीं है
तस्वीरों से लगता है कि यह कोरी कल्पना है. लेकिन ऐसा नहीं है. 2015 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने घूमते पिंड पर लैंडिंग रोवर उतारकर साबित कर दिया था कि पिंडों तक पहुंचा जा सकता है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी 2021 तक मुफीद पिंड खोजना चाहती है.
पानी और बिजली की आपूर्ति
पिंड से लटकते अनालेम्मा टावर को बिजली इमारत के सोलर पैनल से मिलेगी. बारिश और बादलों को संघनित कर पानी इकट्ठा किया जाएगा. इमारत के पानी को रिसाइकिल करने की योजना है.
बेहद हल्की इमारतें
अनालेम्मा टावर के डिजायनर ओस्ताप रुदाककेविच के मुताबिक इमारत को बेहद हल्का बनाया जाएगा. निर्माण के लिए कार्बन फाइबर और एल्युमिनियम का ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा.
पूरी इंसानी बस्ती
अनालेम्मा टावर पर सिर्फ रिहाइशी बस्ती या दफ्तर ही नहीं होंगे. वहां पूरी तरह विकसित बाजार, रेस्तरां, शॉपिंग सेंटर और कैफे भी बनाए जाएंगे. इमारत की ऊंची मंजिलों पर दफ्तर बनेंगे. नीचे और बीच की मंजिलों पर रिहाइश, उपासना और अंतिम संस्कार का इंतजाम होगा.
फिलहाल सोच से परे
ऐसी इमारतों में रहना कैसा होगा, फिलहाल यह सोचना बहुत मुश्किल है. वहां रहने वालों को धरती का नायाब नजारा दिखेगा. लेकिन किसी काम से धरती पर आना हो तो पैराशूट के साथ छलांग लगानी पड़ेगी.