1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

आईपीसीसी के काम की समीक्षा होगी: मून

१० मार्च २०१०

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिकों से जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संस्था आईपीसीसी के काम की समीक्षा करने के लिए कहा. तापमान में बढ़ोत्तरी पर आईपीसीसी के दावे सवालों के घेरे में.

https://p.dw.com/p/MPGp
बान की मून और आरके पचौरीतस्वीर: AP

एम्सटर्डम की इंटरएकेडमी काउंसिल (आईएसी) आईपीसीसी के काम की समीक्षा करेगी और इस प्रक्रिया में संयुक्त राष्ट्र का कोई दख़ल नहीं होगा. आईएसी की देखरेख में होने वाली इस समीक्षा में कई अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी.

मून ने बताया कि आईएसी एक विस्तृत, स्वतंत्र समीक्षा की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले रही है जिसमें आईपीसीसी संस्था के काम करने के तरीक़े पर और अन्य प्रक्रियाओं का पूरा मूल्यांकन किया जाएगा और रिपोर्टों में सुधार की गुंजाइश पाए जाने पर ज़रूरी अनुशंसा भी की जाएगी.

Flash-Galerie Klimawandel Eisfläche am Nordpol
तस्वीर: picture alliance / dpa

जलवायु परिवर्तन और तापमान में बढोत्तरी पर आईपीसीसी ने 2007 में रिपोर्ट प्रकाशित की थी लेकिन उसके कई दावों पर सवाल उठे हैं. आईपीसीसी प्रमुख आरके पचौरी ने साल 2035 तक हिमालय ग्लेशियर पिघलने का अनुमान ग़लत तथ्यों पर आधारित होने को स्वीकार करते हुए खेद भी जताया था. पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र ने घोषणा की थी कि जल्द ही आईपीसीसी की स्वतंत्र समीक्षा की जाएगी.

आईएसी के उपाध्यक्ष रॉबर्ट डिज्कग्राफ़ ने उम्मीद जताई है कि इस साल अगस्त तक समीक्षा का काम पूरा होने के बाद रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. समीक्षा के फ़ैसले की घोषणा करते समय बान की मून के बगल में राजेंद्र पचौरी भी खड़े थे और मून ने आईपीसीसी का बचाव भी किया है.

मून के मुताबिक़ चौथी आकलन रिपोर्ट में बहुत कम ग़लतियां ही कही जाएंगी और ऐसे सबूत नहीं है जिनके आधार पर कहा जा सके कि रिपोर्ट की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ हुई है.

Steigende Treibhausgase
तस्वीर: picture-alliance/ ZB

वहीं आरके पचौरी का कहना था कि आईपीसीसी पिछले कुछ हफ़्तों से आलोचना के दायरे में और वह इसके प्रति संवेदनशील है. ज़रूरी क़दम उठाने की कोशिश की जा रही है.

पचौरी के मुताबिक़ यह बेहद ज़रूरी है कि रिपोर्ट जिन वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होती है उसे पूरा वैज्ञानिक समुदाय स्वीकार करे और पांचवी रिपोर्ट अन्य रिपोर्टों के मुक़ाबले बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है.

बताया जाता है कि आईपीसीसी संस्था में कई हज़ार वैज्ञानिक हैं जो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं. 2007 में संस्था ने अपनी चौथी आकलन रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें तापमान में बढोत्तरी के लिए मानवीय गतिविधियों को ज़िम्मेदार ठहराया गया था. लेकिन हिमालय ग्लेशियरों के मामले में आईपीसीसी के बचाव की मुद्रा में आने से संस्था की छवि को धक्का पहुंचा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एम गोपालकृष्णन