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आंत की कोशिका से बनाया दिल

१६ अगस्त २०११

हनोवर के मेडिकल कॉलेज ने एक बीमार मरीज का दिल नया बना दिया और वह भी दिल की कोशिका से नहीं, बल्कि आंत से निकली कोशिका को दिल में लगाया और मरीज का दिल एकदम सामान्य काम करने लगा.

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तस्वीर: Fotolia/Scott Liddell

हर मरीज में दिल बदल देना संभव नहीं होता और इसलिए शरीर के किसी और हिस्से की कोशिका को दिल रिपेयर करने के लिए इस्तेमाल करना एक बहुत ही उम्मीद से भरा और अहम शोध है. इस पूरे शोध की सफलता की चाबी कोशिका में पाई जाने वाली मूल कोशिका यानी स्टेम सेल है.

गंभीर कैंसर

कैंसर का पता लगना हर व्यक्ति के लिए ही एक सदमे की स्थिति होती है. और ऐसा ही 40 साल की नीदरलैंड्स से आने वाली महिला के साथ भी हुआ. उनके शरीर में कैंसर वाला ट्यूमर ऐसी जगह पर था कि उसे निकाला नहीं जा सकता था और बहुत गंभीर स्थिति में था. इस स्थिति से उबरने के लिए हनोवर में हृदय, छाती और वैस्कुलर सर्जरी के कॉलेज के प्रमुख प्रोफेसर आक्सेल हाफेरिष ने बताया, "यह मरीज एक खास केस थी क्योंकि इनके दिल के दाएं हिस्से में ट्यूमर ऊपर तक पहुंच गया था और इसकी जड़ें फेंफड़ों में थीं. नीदरलैंड्स में कहा गया कि इसका तो ऑपरेशन ही नहीं हो सकता है और अंतिम कोशिश के तौर पर उन्हें हनोवर भेजा गया."

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तस्वीर: AP

जीवनदायी

हृदय से ट्यूमर को निकाल देना उनके जीवन को खत्म कर देता और हृदय के प्रत्यारोपण का तो कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि इसमें खतरा बहुत था. इसलिए डॉक्टर ने नए शोध पर भरोसा करने की ठानी. उन्होंने हृदय के दो हिस्सों को अलग करने वाला हिस्सा काटा और उसकी जगह छोटी आंत से निकली कोशिका लगा दी. इस दौरान मरीज को हार्ट लंग्स मशीन पर रखा गया था जो उनके खून को शुद्ध करती. छोटी आंत से रक्त शिरा के साथ 15 सेंटीमीटर का एक हिस्सा निकाला गया. इसे बायपास ऑपरेशन के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता है.

नई मांसपेशी

सर्जन ने हृदय के उस जगह पर यह कोशिका लगाई जहां दिल के दाएं हिस्से की दीवार थी. मरीज के शरीर में इसके बाद जो भी हुआ उसे अल्ट्रासाउंड के जरिए देखा जा सकता था. छोटी आंत से निकला हिस्सा दिल की दीवार में बदल गया. तीन सप्ताह बाद आंत के कटे हुए हिस्से में सिकुड़न शुरू हो गई लेकिन छह सप्ताह बाद वह हृदय का हिस्सा बन गई.

चूहों, सुअरों और भेड़ों पर कई साल चले प्रयोगों के बाद यह तो सिद्ध हो गया था कि यह प्रक्रिया सफल हो सकती है. लेकिन दिल की कोशिकाएं आई कहां से, इसका जवाब पाने के लिए जानवरों पर किए गए प्रयोगों के सैंपल बाद में नॉयहाइम के हृदय और फेंफड़े के लिए बने शोध संस्थान में भेजे. दिल की मांसपेशियों में दो तरह की मांसपेशिया मिलीं. एक आंत से बनी मासपेशियां और दूसरी वे जो रक्त शिराओं के आस पास बनी. शोधकर्ताओं को लगता है कि रक्त की मूल कोशिकाओं से ये नई दिल की कोशिकाएं बनीं और वही रक्त कोशिकाओं के आस पास थीं. जबकि दूसरी मांसपेशियां आंत में मिलने वाली मूल कोशिकाओं से बनी हो सकती हैं.

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बच्चों पर यह प्रयोग होना बाकी हैतस्वीर: AP

संकेत कहां से

लेकिन अब दिल की मांसपेशियों में बदलना है. यह संकेत कोशिकाओं को मिलता कहां से हैं. इसका साफ जवाब अभी वैज्ञानिकों को नहीं मिल पाया है. इस प्रक्रिया का विकास कैंसर के मरीजों के लिए नहीं किया गया था बल्कि उन बच्चों के लिए किया गया था जिनके दिल कमजोर होते हैं. हालांकि अभी तक बच्चों पर यह प्रयोग नहीं किया गया है. यूरोप में हर साल एक हजार बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिनके हृदय में कुछ गड़बड़ी होती है. इनमें कई की मृत्यु बहुत जल्दी हो जाती है जबकि कई अन्य को प्रत्यारोपण के लिए हृदय नहीं मिल पाता. हाफेरिष कहते हैं कि ऐसी स्थिति में यह प्रक्रिया बहुत मदद कर सकती है. वह बताते हैं, "यही हमारी प्राथमिक प्रेरणा थी कि इस प्रक्रिया को उन बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाए जिनके हृदय में जन्मजात गड़बड़ी होती है."

हावेरिष को उम्मीद है कि जल्द ही बच्चों को इस नई शोध से मदद मिलेगी. फिलहाल इस ऑपरेशन ने उस महिला की जान बचा ली है जो इसके बगैर शायद दुनिया में नहीं होती. ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद यह महिला अपने चार बच्चों के साथ परिवार में रह रही है. 

रिपोर्टः एंगेल मिषाएल/आभा एम

संपादनः ए कुमार