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समाज

असम में नागरिक रजिस्टर का पहला हिस्सा जारी

२ जनवरी २०१८

कौन असम का निवासी है और कौन नहीं, यह तय करने के लिए सरकार ने नागरिक रजिस्टर को अपडेट करने का फैसला किया. फिलहाल पहली सूची जारी हुई है. कुछ लोगों को राहत मिली है, तो कुछ अब भी असमंजस में हैं.

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Indien Klinik-Boot in Assam
तस्वीर: Thomson Reuters Foundation/A. Nagaraj

असमसरकार ने बहुप्रतीक्षित नागरिक रजिस्टर, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के एक हिस्से का प्रकाशन कर दिया है. इसमें राज्य के 1.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए हैं. रजिस्टर में शामिल होने के लिए आवेदन देने वालों की कुल संख्या 3.29 करोड़ है. इन सभी ने विभिन्न दस्तावेज दिए हैं जिससे उनका नाम भारतीय नागरिकों के रजिस्टर में आ सके.

महा पंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया) शैलेश ने रविवार को देर रात एक संवाददाता सम्मेलन में इसे जारी किया. उन्होंने कहा कि बाकी बचे लोगों के नाम प्रमाणन के विभिन्न चरणों में हैं. शैलेश ने कहा कि संपूर्ण एनआरसी का प्रकाशन 2018 में होगा. रविवार को इसके सिर्फ एक हिस्से का प्रकाशन हुआ, "अगर किसी का नाम अभी नहीं आया है, तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसका केवल इतना ही अर्थ है कि उसका नाम अभी वेरिफिकेशन के चरण में है."

नाम ना आने पर खुदकुशी

एनआरसी के प्रकाशन पर राज्य में मिश्रित प्रतिक्रिया हुई है. नागरिकता को सुनिश्चित करने की इस ऐतिहासिक कवायद ने कई नागरिकों के घरों को खुशियों से भर दिया जबकि जिनके नाम इसमें नहीं आए, उनके चेहरों पर निराशा देखी गई. इस आशय की खबरें हैं कि इसमें अपना नाम नहीं पाकर सिलचर जिले में एक व्यक्ति ने खुदकुशी कर ली है. कछार में पुलिस ने कहा कि हनीफ खान नाम के व्यक्ति का शव घर में फंदे से लटकता मिला. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि स्थानीय लोगों का कहना है कि वह एनआरसी में अपना नाम नहीं पाकर बेहद परेशान हो गया था, "हालांकि, हम हर पहलु से मामले की जांच कर रहे हैं."

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'विदेशी मुक्त असम'

ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी प्रमुख बदरुद्दीन अजमल का नाम भी एनआरसी में नहीं है, "लेकिन परेशान होने की बात नहीं है क्योंकि असम के सभी भारतीय नागरिकों का नाम अंतिम एनआरसी में होगा."

ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ने ड्राफ्ट के जारी होने का स्वागत करते हुए कहा कि यह 'विदेशी मुक्त असम' की दिशा में पहला कदम है, "असम समझौते पर हस्ताक्षर के 38 साल बाद यह सामने आया है. यह राज्य के मूल निवासियों का इकलौता संवैधानिक रक्षक बनने जा रहा है."

वहीं कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने इसका स्वागत किया लेकिन कहा कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों का नाम अभी इसमें नहीं है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतिम एनआरसी में सभी का नाम होगा. उन्होंने पार्टी के विधायक नरुल हुदा का नाम लिया जिनके पुरखों का नाम 1951 की सूची में है लेकिन अभी जो एनआरसी ड्राफ्ट जारी हुआ, उसमें नहीं है.

आईएएनएस/आईबी