अमेरिकी मदद का इस्तेमाल 'भारत के ख़िलाफ़'
१४ सितम्बर २००९पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के शासनकाल में आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए पाकिस्तान को अमेरिका से सैन्य मदद मिलती थी. लेकिन अब मुशर्रफ़ मान रहे हैं कि सैन्य मदद मिलने के लिए क़ानून का उन्होंने उल्लंघन किया और ऐसा पाकिस्तान की सैन्य ताक़त में इज़ाफ़ा करने के लिए किया गया. हालांकि मुशर्रफ़ ने कहा कि ऐसा करते समय उनके मन में पाकिस्तान के हितों को सर्वोपरि रखने की भावना थी और वह पाकिस्तान के हितों से समझौता नहीं कर सकते. मुशर्रफ़ ने एक टेलिविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं.
इस रहस्य से पर्दा उठाने के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ बिल्कुल भी चिंतित नज़र नहीं आए और उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि अब अमेरिका क्या सोचेगा. पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक ने महाअभियोग प्रस्ताव लाए जाने से पहले ही पिछले साल अगस्त में राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
भारत और अमेरिका में भी कई नेता यह कहते आए हैं कि अमेरिका से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल मुशर्रफ़ सरकार भारत के ख़िलाफ़ कर रही थी लेकिन पाकिस्तान ने लगातार इन आरोपों को ख़ारिज किया. मुशर्रफ़ ने बताया कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में अमेरिका का साथ नहीं देता तो अमेरिकी सेना पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठानों और परमाणु हथियारों पर नियंत्रण कर लेती. पूर्व राष्ट्रपति ने तो यहां तक आशंका जता दी कि भारत और अमेरिका मिलकर पाकिस्तान पर हमला कर सकते थे.
अपने शासनकाल की कथित सफलताओं को याद करते हुए परवेज़ मुशर्रफ़ ने बताया कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम बहुत आगे बढ़ा, वैज्ञानिक यूरेनियम को संवर्धित करने की प्रक्रिया शुरू कर चुके थे और पाकिस्तान ने प्लूटोनियम आधारित परमाणु हथियार बनाने शुरू कर दिए थे.
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले डॉ ए क्यू ख़ान ने दावा किया था कि परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी को लीक करने का आरोप स्वीकार करने के लिए उन पर दबाव डाला गया था. मुशर्रफ़ ने कहा कि डॉ ख़ान ने पाकिस्तान के लिए बहुत कुछ किया लेकिन अगर वह कहते हैं कि उन पर देश की आवाम से माफ़ी मांगने का दबाव डाला गया तो वह झूठ बोल रहे हैं.
परवेज़ मुशर्रफ़ ने 2007 में पाकिस्तान में आपातकाल लगा दिया था जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया. मुशर्रफ़ का कहना है कि अगर उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा चलाया जाता है तो फिर यह उन सभी जजों के ख़िलाफ़ चलना चाहिए जिन्होंने उनके फ़ैसले का समर्थन किया था. उनका कहना है कि अगर उन पर बलूचिस्तान के राष्ट्रवादी नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या का मुक़दमा चलता है तो वह जस्टिस इफ़्तिख़ार चौधरी से न्याय पाने की अपेक्षा रखते हैं. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ इन दिनों लंदन में रह रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: एम गोपालकृष्णन