अमेरिका में 67 लाख चमगादड़ों की मौत
१९ जनवरी २०१२विशेषज्ञों के अनुसार व्हाईट नोज सिंड्रोम नाम की बीमारी की वजह से 2006 से अब तक यानी पांच सालों के अंदर इतने सारे चमगादड़ों की मौत हुई है. बीमारी का स्रोत एक फंगस जिओमाईसस डिस्ट्रक्टंस है जिसकी वजह से सर्दियों में सोने वाले चमगादड़ जाग जाते हैं. इसके बाद वह कीड़ों की तलाश में गुफाओं से निकल आते हैं और फिर ठंड या भूख की वजह से उनकी मौत हो जाती है. 2006 में इस बीमारी का पहली बार पता चला था. 2009 में इस पर पहली बार शोध किया गया, अनुमान था कि 10 लाख चमगादड़ मर चुके हैं. इस बीच बीमारी अमेरिका के दक्षिण से उत्तर पूर्वी इलाकों यानी करीब 2000 किलोमीटर तक फैल चुकी है. वह कनाडा में भी पाई गई है. शोध के लिए गुफाओं में चमगादड़ों की संख्या गिनी गई थी और फिर पूरे देश में स्थिति का अनुमान लगाया गया.
चमगादड़ प्राकृतिक कीटनाशक
अमेरिका के फिश और वाइल्डलाइफ सर्विस यानी मछली और वन्यजीव सेवा के निदेशक डैन ऐशे का कहना है कि "इस नए शोध के अनुसार हमें समझ में आ रहा है कि यह बीमारी चमगादड़ों के लिए कितनी खतरनाक है. यह सिर्फ उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए भी खतरनाक है. चमगादड़ हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम हैं क्योंकि वह एक प्राकृतिक कीटनाशक का काम करते हैं. कीड़े मकोड़े सिर्फ किसानों के खेत ही नष्ट नहीं करते हैं. वह लोगों के बीच बीमारियां भी फैला सकते हैं."
पुराने शोधों के अनुसार हर साल किसानों को चमगादड़ों के होने की वजह से 3,7 अरब डॉलर यानी करीब 186 अरब रुपये का फायदा होता है. चमगादड़ों के न होने पर उन्हें यह पैसा कीटनाशक खरीदने में खर्च करना पड़ता. शोध से यह भी पता चला है कि जो चमगादड़ बीमारी से संक्रमित हैं उनमें से 99 प्रतिशत की मौत भी हो जाती हैं. उम्मीद की किरण सिर्फ यह है कि अमेरिका के उत्तर पश्चिमी इलाकों में कुछ ऐसे चमगादड़ मिले हैं जो गुफाओं में फंगस के होने के बावजूद जिंदा और तंदुरुस्त हैं. हालांकि अब तक बीमारी को रोकने के लिए कोई टिकाउ रास्ता नहीं मिल पाया है.
अमेरिका के सेंटर फॉर बायोलॉजिकल डाईवर्सिटी यानी जैव विविधता केंद्र की मोली मैटसन का कहना है, " जिस पैमाने पर चमगादड़ों की मौत हो रही है वह दिखाता है कि अब इस पर बहुत जल्द और कहीं ज्यादा प्रयास करने की जरूरत हैं."
रिपोर्टः एपी, एएफपी/ प्रिया एसेलबॉर्न
संपादनः एन रंजन