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अमेरिका ने दिया पाकिस्तान को माफी का झांसा

११ जुलाई २०१२

अमेरिका ने पाकिस्तान से माफी मांग कर महीनों से अफगानिस्तान जाने वाले नाटो ट्रकों का रास्ता खुलवा लिया. जानकार मानते हैं कि अमेरिका ने पाकिस्तान से माफी नहीं मांगी, बल्कि उसे शब्दों के खेल में फंसा कर अपना काम निकाला है.

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तस्वीर: dapd

रॉयटर्स समाचार एजेंसी ने लिखा है कि मई में शिकागो में हुए नाटो सम्मलेन के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के साथ बातचीत की और उसके बाद वॉशिंगटन में एक उच्च अधिकारी थॉमस नाइड्स को निर्देश दिए कि नाटो ट्रकों के लिए रास्ता खुलवाने के लिए जो भी उपयुक्त हो वह करें.

इसके बाद एक ड्राफ्ट तैयार किया गया जिसकी भाषा को बहुत ही ध्यान से चुना गया. इसमें इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि राष्ट्रपति चुनावों से पहले बराक ओबामा को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचे. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया कि इस मामले को ले कर ओबामा सरकार में जो लोग माफी मांगने के हक में नहीं थे उन पर भी इसका कोई असर ना पड़े. अपना नाम न बताने की शर्त पर एक अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया, "व्हाइट हाउस और पेंटागन में कई लोग माफी के विचार से ही सहमत नहीं दिख रहे थे."

Pakistan Afghanistan Nachschubroute für NATO geöffnet Grenze
तस्वीर: Reuters

क्लिंटन का बयान

माफी का जो मसौदा तैयार किया गया उसके बारे में अधिकारी ने बताया, "इसके पीछे तर्क यह था कि यह पूरी तरह से कोई माफीनामा नहीं होगा, बल्कि यह खेद जताता हुआ एक बयान हो जिसमें माफी से जुड़े शब्दों का प्रयोग किया गया हो." शिकागो में क्लिंटन और जरदारी की बैठक के बाद थॉमस नाइड्स और पाकिस्तान के वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख ने मिल कर कई हफ्तों तक ऐसा मसौदा तैयार किया जिस से दोनों पक्ष सहमत हों.

रॉयटर्स ने लिखा है कि क्लिंटन ने पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर से फोन पर बातचीत के बाद जो बयान दिया उसमें "माफी" शब्द था ही नहीं. क्लिंटन ने कहा, "विदेश मंत्री खर और मैंने उन गलतियों को माना है जिनके कारण पाकिस्तानी सैनिकों की जान गई." इसके आगे उन्होंने कहा, "पाकिस्तानी सेना को जो नुकसान हुआ उसका हमें अफसोस है." इस बयान में "सॉरी" शब्द का इस्तेमाल माफी के लिए नहीं बल्कि अफसोस जताने के लिए किया गया.

USA Verteidigungsminister Leon Panetta
तस्वीर: AP

पेंटागन का रुख

अमेरिकी अधिकारियों पर इस बात का भी दबाव था कि यदि पाकिस्तान के साथ कोई समझौता नहीं होता है तो अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद राशि को रोकने की मांग करेंगे. वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने पिछले महीने कहा था कि अमेरिका को सप्लाई रूट के बंद होने से हर महीने दस करोड़ डॉलर का नुकसान झेलना पड़ रहा है. इस तरह के बयान से यह साफ हुआ कि यदि अमेरिका माफी मांगता भी है तो ओबामा की छवि को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, क्योंकि इस कदम से वह अमेरिका को आर्थिक नुकसान से बचा रहे थे.

हालांकि पैनेटा खुद कभी माफी के हक में नहीं रहे. उन्होंने एक इंटरव्यू में बयान दिया था कि अतीत में जितनी माफी मांगी जानी चाहिए थी काफी है. अमेरिका ने नवंबर में ड्रोन हमले में पाकिस्तान सैनिकों की मौत के बाद ही खेद जताया था, लेकिन साथ ही यह भी सुना दिया था कि गलती केवल अमेरिका की नहीं थी. वहीं पाकिस्तान की मांग थी कि अमेरिका लिखित में माफी मांगे. यह मुद्दा पाकिस्तान की संसद तक भी पहुंचा. अमेरिका ऐसा करने से इंकार करता रहा. पिछले हफ्ते दोनों देशों के बीच समझौता हो जाने के बाद पेंटागन ने जो बयान जारी किया उसमें भी कहीं माफी का जिक्र नहीं था. पेंटागन के प्रवक्ता ने केवल दो लाइनों में कहा, "हमने जो खेद जताया है और दोनों पक्षों से जो गलतियां हुई हैं, पैनेटा ने उसे स्वीकारा है और उन्होंने यह साफ किया है कि अब संबंधों को आगे बढ़ाने की जरूरत है."

रॉयटर्स से बात करने वाले अमेरिकी अधिकारी ने पूरे मामले के बारे में कहा, "आखिरकार हर कोई कह सकता है कि वे जो चाहते थे उन्हें वह मिला - व्हाइट हाउस, पाकिस्तानी, अमेरिकी विदेश मंत्रालय और पेंटागन सबको."

आईबी/एमजे (रॉयटर्स)

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