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अमेरिका ने कार्बन उत्सर्जन पर नियम बनाए

८ दिसम्बर २००९

अमेरिकी सरकार का कहना है कि कार्बन डाइआक्साइड गैस को ख़तरनाक प्रदूषक के रूप में नियंत्रित करना शुरू करेगी. हालांकि इस मुद्दे पर अमेरिकी कांग्रेस बंटी हुई है, लेकिन सरकार ने नियम लागू करने का आदेश दिया.

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तस्वीर: AP

लेकिन ओबामा सरकार का कहना है कि कोपेनेहेगन की जलवायु बैठक की रोशनी में अमेरिका को अपनी प्रतिबद्धता को वास्तविक अर्थों में दिखाने की ज़रूरत है. सरकार के फ़ैसले के बाद अमेरिका की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी ईपीए फैक्ट्रियों, इमारकों और वाहनों से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा तय कर देगी. और इस कानून को लागू करने के लिए कांग्रेस में बिल पास कराने का इंतज़ार भी नहीं किया जाएगा.

इस बीच डेनमार्क की राजधानी कोपेहेनहेगेन में जलवायु परिवर्तन पर अब तक की सबसे बड़ी बैठक का आज दूसरा दिन है. संयुक्त राष्ट्र ने लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों को फिर समझाने की कोशिश की कि ख़तरा कैसे पांव पसार रहा है.एक तरफ़ रेगिस्तान बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ़ समुद्र का जलस्तर भी लगातार बढ़ रहा है. इस मुद्दे से कैसे निपटा जाए, इस पर दुनिया अब तक एकमत नहीं है, लेकिन बैठक के मेज़बान डेनमार्क को भरोसा है कि इस बारे में नई संधि पुहंच के भीतर है.

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के मुखिया यो-दे बोएर ने कोपेनहेगन बैठक की शुरुआत की. जलवायु परिवर्तन पर दुनिया की यह सबसे बड़ी बैठक शुरू हो तो गई है, लेकिन ख़ुद संयुक्त राष्ट्र को इसके सफल होने पर शक है जो इस मुद्दे पर जारी मतभेदों के बीच स्वाभाविक भी दिखता है.

Aktionen anlässlich der Klimakonferenz in Kopenhagen Paris Flash-Galerie
बैठक से पहले पर्यावरणविदों ने डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में प्रदर्शन भी किए.तस्वीर: AP

"कोपेनहेगेन तभी सफल होगा जब ऐसे क़दमों पर सहमति बने जिन पर सम्मेलन ख़त्म होने के अगले दिन से अमल शुरू हो सके. आने वाले हफ़्ते में ठोस और व्यवहारिक प्रस्ताव तैयार करने की ज़रूरत है ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और इससे निपटने के लिए आर्थिक और तकनीकी मदद हासिल की जा सके." - यो-दे बोएर.

दो हफ़्ते की इस बैठक में 190 देशों के लगभग 15,000 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जो ज़हरीली गैसों को कम करने पर मतभेद पाटने की कोशिश करेंगे ताकि जलवायु परिवर्तन पर नई संधि का रास्ता तैयार हो. कोपेहेगन बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओमाबा, फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के अलावा भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी हिस्सा लेंगे. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के पैनल के मुखिया राजेंद्र पचौरी ने कहा कि बाढ़, तूफान और बढ़ते तापमान से निटपने के लिए क़दम उठाने ही होंगे.

"जलवायु परिवर्तन से सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में इससे निपटने की परियोजनाओं के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराने के संबंध में इस बैठक में उपाय करने ही होंगे." - राजेंद्र पचौरी

यो-दे बोएर ने भी कहा कि ग़रीब देशों की मदद करनी होगी. डेनमार्क के प्रधानमंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन ने कहा कि डील हो सकती है, बशर्ते अमीर और ग़रीब देशों के बीच कार्बन उत्सर्जन पर अविश्वास को दूर करने की कोशिश हो. भारत और चीन जैसे देश अब तक कहते रहे हैं कि उत्सर्जन को कम करने की ज़्यादा ज़िम्मेदारी विकसित देशों की बनती है. वैसे विकसित देशों के साथ क़दम मिलाते हुए इन देशों ने भी अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्य तय कर दिए हैं. इन सबके बीच भारत, चीन और अमेरिका की तरफ़ से ऐसे संकेत मिल रहे हैं, जिससे कोपेनहेगन बैठक की सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल