अमेरिका ने आहत किया: चीन
१९ फ़रवरी २०१०तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुक़ालात के फ़ौरन बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने यह बयान जारी किया है. चीन सरकार ने कहा कि अमेरिका और चीन के संबधों को नज़रअंदाज़ करते हुए यह मुलाक़ात हुई. चीन के विदेश उपमंत्री कुइ तियान्काई ने अमेरिका के राजदूत जॉन हंटसमैन को भी तलब किया और आधिकारिक विरोध दर्ज कराया.
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ''चीन की अंदरूनी राजनीति में दख़ल देने के अमेरिकी व्यवहार से देश और चीनी जनता को ठेस पहुंची है.'' चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मा चाओशु ने कहा, ''अमेरिका ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने और उसकी आज़ादी का समर्थन न करने के अपने ही वादे को तोड़ा है.''
दलाई लामा के मसले पर चीन की यह तल्ख़ी कोई नई बात नहीं है. तिब्बती आध्यात्मिक जब भी दुनिया के किसी बड़े नेता से मुलाकात करते हैं तो चीन उसका विरोध ही करता है. लेकिन यह पहला मौक़ा है जब चीन ने इतने कड़े शब्दों में नाराज़गी का इज़हार किया है.
इससे पहले गुरुवार को ओबामा और दलाई लामा के बीच हुई मुलाक़ात में कई मुद्दों पर चर्चा की गई. इस दौरान चीन में मानवाधिकारों के हनन और तिब्बतियों के साथ व्यवहार की विस्तार से चर्चा हुई. हालांकि व्हाइट हाउस ने चीन को संकेत दिया है कि यह एक निजी मुलाक़ात थी, राजनीति से इसका कोई लेना देना नहीं है.
तिब्बत मुद्दे के अलावा अमेरिका ताइवान को अरबों डॉलर के आधुनिक श्रेणी के हथियार बेचने जा रहा है, चीन इस पर भी नाराज़ है. गूगल सेंसरशिप मामले में भी दोनों देशों के मतभेद ख़ुलकर सामने आ चुके हैं. जानकारों का कहना है कि अमेरिका और चीन के संबंधों की एक अग्निपरीक्षा अभी बाक़ी है. पश्चिमी देश विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं, देखना है कि चीन इस पर क्या रुख़ अपनाता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादनः ए कुमार