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अब खून के कैमरे से खून की जांच

८ दिसम्बर २०१०

खून की जांच से डॉक्टरों को स्पष्ट रूप से जानकारी मिल सकती है कि किसी मरीज को कौन सी बीमारी है. अब खून के कोशिकाओं की जांच ऑटोमेटिक यानी स्वचालित रूप से होने लगी है. नए तरीके के कंप्यूटर प्रोग्रामों से मदद.

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तस्वीर: DW-TV

हेमोग्रैम यानी रक्त कोशिकाओं की गिनती से यह पता लगाया जाता है कि मरीज के खून में किस प्रकार की कोशिकाएं कितनी संख्या में मौजूद हैं. इसे चिकित्सा के क्षेत्र में इलाज की मानक विधि का माध्यम माना जाता है. लेकिन कई बार विशेषज्ञों को यह काम सामान्य तरीके से भी करना होता है. उदाहरण के लिए तब, जब उन्हें मशीन की जांच पर शक होता है. अब विशेषज्ञों को नई तरह के कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए मदद मिल सकती है.

पारंपरिक तरीका

यदि आपका डॉक्टर रक्त के नमूने को किसी प्रयोगशाला में भेजता है, तो इस सैंपल की जांच साइटोमीटरों में की जाती है. इन साइटोमीटरों में कोशिकाओं को स्वचालित तरीके से गिना जाता है. वे एक पल में ही हजारों कोशिकाओं का वर्गीकरण कर सकते हैं. लेकिन जटिल बीमारियों की जांच के दौरान ऐसा करना संभव नहीं होता है. असल में अगर कोशिकाओं में किसी तरह का असामान्य बदलाव आ जाता है, तब उनके वर्गीकरण में दिक्कत आती है. कंप्यूटर विशेषज्ञ क्रिस्टियान वायगांड बताते हैं, "कोई भी कल्पना कर सकता है कि शरीर में बहुत सारी कोशिकाएं होती हैं और उनमें बहुत से बदलाव भी होते हैं. यदि आप ल्यूकेमिया का उदाहरण लेते हैं तब इस बीमारी की वजह से कोशिकाओं का रूप बदलता है. और इसलिए ऑटोमेटिक मशीनों से उनका वर्गीकरण करना असंभव है. इसलिए इन नमूनों को सामान्य तरीके से दोबारा देखना पड़ता है ताकि स्पष्ट रूप से पता चल सके कि मरीज को किस तरह की बीमारी है."

Flash-Galerie Blutzellen - Flexible Spediteure
रक्त कोशिकातस्वीर: picture-alliance / dpa

सामान्य जांच

ऐरलांगन शहर के प्रसिद्ध फ्राउनहोफर इंस्टिट्यूट में काम करने वाले क्रिस्टियान वायगांड दिखाते हैं कि कोशिकाओं की जांच सामान्य तरह से कैसे की जाती है. वे एक विशेष तरह के माइक्रोस्कोप यानी सूक्ष्मदर्शी के सामने खड़े हैं. लेंस के नीचे खून की एक बूंद है. विशेष तरह के रंग को मिलाने के साथ कोशिकाओं में मौजूद श्वेत रक्त कणिकाएं बैंगनी हो जाती हैं और आसानी से उनकी जांच हो सकती है. श्वेत रक्त कणिकाओं को ल्यूकोसाइट्स कहा जाता है. यह जानने के लिए कि मरीज के शरीर में कहीं पस तो नहीं है, या किसी तरह का संक्रमण हुआ है या फिर रक्त में कोई खराबी है, इन ल्यूकोसाइट्स के 6 सबसे महत्वपूर्ण प्रकारों को गिना जाता है. उनकी संख्या कितनी है, उससे भी पता चलता है कि क्या कोई बीमारी है या नहीं. किसी मरीज के खून के नमूने की सामान्य तरीके से जांच करने के लिए 200 कोशिकाओं की अलग से जांच करनी होती है. और यह क्रिस्टियान वायगांड के मुताबिक बहुत ही मुश्किल काम है, "हाथ से वर्गीकरण करना जटिल काम है. एक के बाद एक आपको माइक्रोस्कोप के साथ 200 कोशिकाओं की जांच करनी होती है. यह आंखों के लिए भी बोझ है और फिर पीठ के लिए भी. यह कोई आसान काम नहीं है."

नई मशीन

इस जटिल काम को आसान करने के लिए क्रिस्टियान वायगांड और उनके साथियों को एक ख्याल आया. क्यों न एक डिजिटल कैमरे के साथ माइक्रोस्कोप के नीचे दिखाए दे रही अलग अलग कोशिकाओं के फोटो को एक डेटाबेस में डाला जाए. फिर उन्होंने उस डेटाबेस को यह सूचना भी दी कि अलग अलग कोशिकाओं में आए बदलावों का क्या मतलब होता है. यानी इस नए तरीके के जरिए अब परिवर्तित कोशिकाओं की भी स्वचालित तरीके से जांच हो सकती है.

Blutprobe in Reagensglas
सामान्य रक्त जांचतस्वीर: AP

वायगांड कहते हैं, "हमें इस व्यवस्था को लेकर भी कहना होगा कि 100 फीसदी कोशिकाओं का वर्गीकरण नहीं हो सकता है. लेकिन 90 फीसदी की स्पष्ट रूप से जांच तो हम कर सकते हैं. और यह बहुत ही अच्छा है."

नई मशीन का नाम है हेमाकैम यानी खून का कैमरा. अक्टूबर से यह मशीन बाजार में आ गई है. 25 मिनट के अंदर यह खून के 8 नमूनों की जांच कर सकती है. क्रिस्टियान वायगांड इस बात पर जोर देते हैं कि अंत में हमेशा किसी विशेषज्ञ को यह बात सुनिश्चित करनी पड़ती है कि स्वचालित रूप से किया गया वर्गीकरण सही है या नहीं. इस वक्त शोधकर्ता एक नई मशीन के आविष्कार में लगे हैं जो एक रोबोट की मदद से एक रात में 200 नमूनों की जांच कर सकती है. यदि शोधकर्ता ऐसा करने में कामयाब हुए तो वह कैमरे के फोटो और डेटाबेस के जरिए जांच को सिर्फ खून की कोशिकाओं पर नहीं, बल्कि अस्थि मज्जा कोशिकाओं पर भी लागू करना चाहते हैं. ऐसे में अनेमिया और ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों की जांच करना और भी आसान हो जाएगा.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/प्रिया एसेलबॉर्न

संपादनः आभा एम

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