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अब आईटी क्षेत्र में यूनियन की पहल

३० मई २०१७

सूचना तकनीक (आईटी) क्षेत्र में नौकरियों में भारी कटौती और छंटनी का विरोध करने के लिए अब चेन्नई के आईटी कर्मचारियों ने पहली बार एक यूनियन का गठन किया है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe

आईटी के क्षेत्र में यूनियन के गठन के बाद उसमें शामिल होने वाले सदस्यों की तादाद लगातार बढ़ रही है. आईटी संगठनों के बैनर तले विभिन्न कंपनियों में बड़े पैमाने पर होने वाली छंटनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तैयारी चल रही है. संगठन के पदाधिकारी इस मुद्दे पर शीघ्र कर्नाटक के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस मामले में हस्तक्षेप की अपील करेंगे.

छंटनी

अमेरिकी वीजा नीति में बदलाव और परियोजनाओं में कमी की वजह से आईटी क्षेत्र की तमाम दिग्गज कंपनियां बड़े पैमाने पर खासकर मझले और वरिष्ठ स्तर के कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. आटोमेशन और नवीनतम तकनीक की चुनौतियों से जूझ रही आईटी कंपनियां खर्च घटाने के लिए ऐसे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. हाल के महीनों में विप्रो, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और काग्निजेंट जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों ने हजारों की तादाद में छंटनी की है.  टेक महिंद्रा कंपनी ने इसी महीने एक हजार कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. इससे पहले बीते अप्रैल में विप्रो ने भी कामकाज की समीक्षा के बाद पांच सौ कर्मचारियों को निकाल दिया था. 

दूसरी ओर, अमेरिका में सूचीबद्ध आईटी कंपनी काग्निजेंट कर्मचारियों की तादाद में कम से कम पांच फीसदी कटौती की योजना बना रही है. यह आंकड़ा दस हजार के आसपास है. कंपनी ने बीते सप्ताह अपने वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना शुरू की है. इंफोसिस भी  कम से कम एक हजार कर्मचारियों को निकाल सकती है.

यूनियन बनाने की पहल

बड़े पैमाने पर होने वाली इस छंटनी का विरोध करने के लिए चेन्नई में अब आईटी परिसरों में यूनियन बनाने की कवायद शुरू हो गई है. इसकी कमान फोरम फॉर आईटी इम्प्लॉइज (फाइट) ने संभाली है. तमिलनाडु में कम से कम चार लाख आईटी कर्मचारी काम करते हैं. फाइट के एक सदस्य एस. कुमार कहते हैं, "आईटी कर्मचारी नौकरी जाने के डर से खुलेआम यूनियन में शामिल होने से कतराते हैं. लेकिन अब जब नौकरियां जाने लगी हैं तो उनको इसके विरोध के लिए एक बैनर तले आना ही होगा." फाइट ने बड़े पैमाने पर सदस्यता अभियान चला रखा है. उसने चेन्नई और हैदराबाद में श्रम आयुक्तों को भी इस मुद्दे पर पत्र भेजा है. फाइट के अध्यक्ष पी. परिमल कहते हैं, "आईटी कर्मचारियों को उम्मीद है कि एक कंपनी से छंटनी के बाद उनको किसी और कंपनी में नौकरी मिल जाएगी. इसलिए अभी वह यूनियनबाजी से हिचक रहे हैं." इस बीच एक  अन्य संगठन ऑल इंडिया आईटी इम्प्लॉइज एसोसिएशन के सदस्य इस मुद्दे पर कर्नाटक सरकार से बातचीत करने की योजना बना रहे हैं. संगठन के अध्यक्ष सैयद मुकीमुद्दीन कहते हैं, "छंटनी के मुद्दे पर हम शीघ्र सरकार से बातचीत करेंगे. इसके लिए दूसरे संगठनों से बातचीत चल रही है." दूसरी ओर, कर्नाटक के सूचना तकनीक मंत्री प्रियंक खड़गे ने प्रभावित आईटी कर्मचारियों से श्रम विभाग से शिकायत करने को कहा है. उन्होंने भरोसा दिया है कि सरकार इस मामले में जरूरी कदम उठाएगी. आईटी संगठन इस मुद्दे पर बंगलूरु में एक रैली की भी योजना बना रहे हैं.

Narayan Murthy Günder von Infosys
नारायण मूर्तितस्वीर: DW/P.Tiwari

नैसकॉम का खंडन

इस बीच, सूचना तकनीक क्षेत्र के सबसे बड़े संगठन नैसकॉम ने बेवजह बड़े पैमाने पर छंटनी की खबरों का विरोध करते हुए कहा है कि ऐसी कोई बात नहीं है. नैसकॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर कहते हैं, "आईटी कंपनियों ने बीते एक साल में 1.7 लाख लोगों को रोजगार दिया है. इनमें चालू साल की पहली तिमाही के दौरान ही 50 हजार नई नौकरियां पैदा हुई हैं." वह कहते हैं कि व्यापक छंटनी की खबरें अतिशयोक्तिपूर्ण है. अगले एक दशक के दौरान इस क्षेत्र में 20 से 25 लाख नौकरियां पैदा होंगी. चंद्रशेखर मानते हैं कि आटोमेशन की वजह से कुछ नौकरियों में कटौती स्वाभाविक है. लेकिन साथ ही रोजगार के नए मौके भी पैदा हो रहे हैं. लेकिन एक सलाहकार फर्म हेड हंटर्स इंडिया का दावा है कि इस क्षेत्र में  हर साल 1.75 से दो लाख लोगों की नौकरियां खत्म होंगी.एक अन्य फर्म पीपुल स्ट्रॉन्ग का कहना है कि वर्ष 2021 तक आटोमेशन के चलते लाखों नौकरियां खत्म हो जाएंगी. 

उदास हैं नारायण मूर्ति

देश की सबसे प्रमुख आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस के संस्थापक-अध्यक्ष एन.आर. नारायण मूर्ति ने इस क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर गहरी चिंता जताई है. बड़े पैमाने पर होने वाली छंटनी पर एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि वह उदास हैं. ध्यान रहे कि इंफोसिस ने भी मझौले और वरिष्ठ स्तर के कई कर्मचारियों को पिंक स्लिप देने की बात कही है. 

आईटी विशेषज्ञों का  कहना है कि आईटी क्षेत्र में विभिन्न वजहों से अब तक कर्मचारी यूनियनों का गठन नहीं हो सका था. लेकिन छंटनी के मौजूदा दौर में धीरे-धीरे ही सही इसकी कवायद शुरू हो गई है. यूनियनों के गठन का इस क्षेत्र के कामकाज पर क्या और कितना असर होगा, इस पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. एक गुट का कहना है कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए यह एक जरूरी कदम है तो दूसरे गुट की दलील है कि इससे भारतीय आईटी उद्योग की छवि को नुकसान पहुंचेगा.

रिपोर्ट: प्रभाकर