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अफगानिस्तान में बढ़ती फैशन की दीवानगी

१७ फ़रवरी २०१२

अफगानिस्तान का जिक्र होता है तो टीवी पर दिखाए गए तालिबान के चित्र सामने आते हैं. लम्बी दाड़ी मूछ, सर पर पारंपरिक पगड़ी, ढ़ीला ढ़ाला सलवार कुर्ता और हाथ में बंदूक. लेकिन अफगानिस्तान की यह तस्वीर अब तेजी से बदल रही है.

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तस्वीर: bezhan zafarmal

अफगानिस्तान में पुरुष अब फैशन की ओर बढ़ते दिख रहे हैं. कभी पारंपरिक सलवार कुर्ता पहनने वाले पुरुष अब मॉडर्न जीन्स पहने हुए दिखते हैं. अपनी लुक्स का ये पूरा ख्याल रखते हैं. हेयर स्टाइल कैसा होना चाहिए, दाढ़ी मूंछ किस तरह से रखनी है और नए फैशन के कपड़े कहां से खरीदने हैं, इन सब पर उनका ध्यान रहता है. और हो भी क्यों ना? अब उन पर पाबंदी लगाने के लिए तालिबान का शासन नहीं रहा. अब वे अपनी मर्जी से जी सकते हैं, जैसा चाहें वैसा दिख सकते हैं. अब उन्हें जीन्स पहन लेने पर चाबुक नहीं मारे जाते.

तालिबान का डर

एक दशक पहले अगर इन आदमियों को सैलून जाते हुए देखा जाता तो या तो इन्हें बुरी तरह पीटा जाता या शायद जेल में भी डाल दिया जाता. खैर दस साल पहले इनके पास ऐसे सैलून भी नहीं थे, जो अब हर गली नुक्कड़ पर देखे जा सकते हैं.

तालिबान के शासन में इस बात पर नजर रखी जाती थी कि लोगों का पहनावा धार्मिक तौर पर सही है या नहीं. यदि कोई पश्चिमी अंदाज के कपड़े पहने हो या लड़कियों का सर न ढका हो तो उसे सजा दी जाती थी. गैर इस्लामी तौर से कपड़े पहनने को अपराध माना जाता था और लोगों में खौफ बनाने के लिए उन्हें चौराहों पर खड़ा कर के बेरहमी से मारा जाता था. लेकिन 2001 में तालिबान के जाने के बाद से देश में हालात बदलने लगे.

Afghanistan Taliban
तस्वीर: AP

स्टाइलिश होते हैं अफगानी

25 वर्षीय अली रेजा ने बालों को रंगा हुआ है. उन्हें अमेरिकी फिल्मों में सुनहरे बालों वाले हीरो की तरह दिखना पसंद है. देश के इस बदलाव के बारे में वह बताते हैं, "पिछले कुछ सालों में काबुल में लड़के अपनी लुक्स को काफी संजीदगी से लेने लगे हैं." अली उन हजारों लोगों में से हैं जो 1996 में तालिबान के आ जाने के बाद देश छोड़ कर चले गए थे. अली भाग कर भारत पहुंचे. वहां एक नाई की दुकान में काम किया और बाल काटना सीखा. तालिबान के जाने के बाद वह काबुल लौटे और अपना सैलून शुरू किया, "मीडिया अकसर अफगान पुरुषों की छवि कुछ इस तरह से प्रस्तुत करता है कि वे लम्बी दाढ़ी मूंछ और कंधे तक बाल रखने वाले गुस्सैल लोग होते हैं. मैंने स्टाइलिस्ट बनने का फैसला किया ताकि मैं यह दिखा सकूं कि यह बात सच नहीं है. और यह भी कि अफगान पुरुष देखने में अच्छे होते हैं, स्टाइलिश होते हैं और उन्हें फैशन की जानकारी भी होती है."

बदलता अफगानिस्तान

एक अन्य स्टाइलिस्ट 22 साल के सैयद मेहदी बताते हैं, "हमारे पास जवान लड़के आते हैं. वह हमें हॉलीवुड और बॉलीवुड अदाकारों की या फिर खिलाड़ियों की तसवीरें दिखाते हैं और कहते हैं कि हम उनके बालों या दाढ़ी को उसी अंदाज में काटें." सैयद के सैलून में फैशन मैगजीन भी रखे जाते हैं ताकि लोग उसमें से अपना स्टाइल चुन सकें.

यही हाल कपड़ों की दुकानों का भी है. एक दुकान चलाने वाले सैयद अब्दुल्लाह बताते हैं, "हर रोज हमारे पास जवान लड़के लडकियां आते हैं और नए ब्रैंड की जीन्स, शर्ट और ड्रेस मांगते हैं." अब्दुल्लाह बताते हैं कि तालिबान के शासन में भी वह दुकान चलाते थे, लेकिन उस समय उन्हें कई चीजें बेचने की इजाजत नहीं थी, "तब से अब तक देखा जाए तो फैशन और स्टाइल में बहुत बदलाव आ चुका है."

लेकिन कुछ लोग इस बदलाव से खुश नहीं. मोहम्मद नकीबुल्लाह फैशन की मारी इस पीढ़ी से बेहद निराश हैं, "बहुत शर्म आती है जब मैं इन गद्दारों को अमेरिकियों की तरह कपड़े पहने देखता हूं." मोहम्मद नकीबुल्लाह का मानना है कि इस तरह का पहनावा गैर इस्लामी है और अफगान मूल्यों के खिलाफ है. वह गुस्से में कहते हैं, "तालिबान ही जानता है कि इनके साथ कैसे पेश आना है."

रिपोर्ट: एएफपी/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा

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