1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अफगानिस्तान में कई बेबस मलाला

२२ अक्टूबर २०१२

पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई पर तालिबानियों का हमला और उन्हें मिलने वाली दुनिया की तवज्जो से अफगानिस्तान के बहुत से लोग नाराज है. इसलिए कि अफगानिस्तान में भी हर रोज कई लड़कियां शिक्षा के नाम पर तालिबान का शिकार होती हैं.

https://p.dw.com/p/16UI9
तस्वीर: DW

अफगानिस्तान की संसद में बंजारा कुची समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एलाय एरशाद कहती हैं, "हर दिन एक न एक अफगान लड़की के साथ दुर्व्यवहार होता है, या वह बलात्कार या एसिड हमले का शिकार होती है. लेकिन कोई इन लड़कियों की तरफ ध्यान भी नहीं देता." एरशाद का कहना है कि सरकार ने महिला अधिकारों के लिए कोई गंभीर कदम नहीं उठाया है. इतना ही नहीं वह इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ और पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल करने के लिए इस्तेमाल करती रही है. सरकार ने इस बात का खंडन किया है.

राष्ट्रपति हामिद करजई ने यूसुफजई पर हमले की बार बार निंदा की और इसे अफगान महिलाओं के अधिकारों के लिए भी इस्तेमाल किया. करजई ने अपने एक संबोधन में कहा, "अफगानिस्तान के नागरिकों, यह हमला सिर्फ यूसुफजई पर नहीं बल्कि सभी अफगान लड़कियों पर है."

अफगानिस्तान में महिलाओं पर हमले के खिलाफ इससे पहले करजई तब बोले थे जब जुलाई में तालिबान के बंदूकधारियों ने 22 साल की महिला नजीबा को सार्वजनिक तौर पर मौत की सजा दी. उस पर व्यभिचार के आरोप थे. इस घटना की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कड़ी निंदा की थी.

एरशाद कहती हैं, "अगर राष्ट्रपति को अफगान महिलाओं की सामान्य तौर पर चिंता नहीं है तो वह मलाला के बारे में अचानक क्यों बोल रहे हैं. यहां टीवी कैमरे बंद होते ही कोई भी न्याय की बात नहीं करता."

संयुक्त अरब अमीरात ने यूसुफजई को ब्रिटेन भेजने के लिए विशेष प्लेन दिया जबकि ब्रिटिश अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार उसके लंबे इलाज का खर्चा दे रही है.

करजई ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से कहा कि हमला इस बात का सबूत है कि हमें साझा दुश्मन के खिलाफ कदम उठाने ही होंगे.

Afghanische Frau mit Burka
कई मुश्किलें झेलती अफगान महिलाएंतस्वीर: Getty Images

2001 में तालिबान के सत्ता से हटने के बाद अफगान महिलाओं को कानूनी तौर पर शिक्षा, मतदान और रोजगार का मूल अधिकार मिल गया है लेकिन अभी भी दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगहों में अफगानिस्तान का नंबर सबसे ऊपर है. वह भी ऐसे दौर में जब दुनिया भर से अरबों डॉलर इन बच्चियों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए खर्च किए जा रहे हैं.

अब बढ़ती चिंता इस बात की है कि इस तरह की आजादी को आगे बढ़ावा नहीं मिलेगा और शायद यह और कम हो जाएगी क्योंकि काबुल तालिबान के साथ शांति समझौता करने की कोशिश में है. उधर 2014 के अंत में अंतरराष्ट्रीय सेना अफगानिस्तान छोड़ना शुरू करेंगी. 0नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित सूराया पारलिका कहती हैं, "हम मलाला की स्थिति दुनिया में किसी और से बेहतर समझते हैं. लेकिन हमारी सरकार महिला अधिकारों के सिर्फ नारे देती है करती कुछ नहीं."

9 अक्टूबर को यूसुफजई को गोली मारने से कुछ ही दिन पहले निजी अफगान टीवी चैनल टोलो ने दिखाया था कि कैसे तालिबान ने एक पुलिस अधिकारी के लड़के और लड़की को उसकी आंखों के सामने गोली मार दी थी.

अफगानिस्तान में स्वतंत्र रूप से काम कर रहे मानवाधिकार आयोग का कहना है कि देश में महिलाओं पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं.

पिछले सप्ताह हेरात में 20 साल की माह गुल का सिर काट दिया गया क्योंकि उसने देह व्यापार से इनकार कर दिया था. गुल के बड़े भाई का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों ने शुरुआत में इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई. "किसी की गाय मारने पर भी यहां लोगों को सजा सुनाई जाती है लेकिन उसकी हत्या की सूचना मस्जिद में देने के लिए भी हमें इंतजार करना पड़ा. अधिकारियों ने कहा कि पिछले सप्ताह गुल के पति सहित ससुराल के चार लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है.

एएम/एमजे (रॉयटर्स)