अफगानिस्तान की कुश्ती
हिंसा की मार झेलते अफगानिस्तान में कुश्ती मनोरंजन का लोकप्रिय साधन है. आम तौर पर खुले अखाड़े में होने वाली इस कुश्ती को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
पहलवानों पर दांव
खुले मैदान में पहलवानों को लड़तो देखने सिर्फ पुरुष ही आते हैं. दर्शक पहलवानों पर दांव लगाकर पैसा बनाते और गंवाते भी हैं.
लंबी परम्परा
अफगानिस्तान में कुश्ती की परम्परा बहुत पुरानी है. कुश्ती के ओलंपिक खेलों में शुमार होने के बावजूद अफगान पहलवान अब तक कोई खास छाप नहीं छोड़ सके हैं.
कुश्ती संघ
देश के हर इलाके में कुश्ती संघ हैं. कुश्ती के बड़े मुकाबले देखने के लिए बाकायदा टिकट खरीदे जाते हैं. संघ के अधिकारी टिकट बेचते हैं.
अलग अलग नियम
प्रत्येक प्रांत में कुश्ती के कुछ अलग नियम भी हैं. कहीं कुश्ती राउंड में होती है तो कहीं एक बार में चित करने की परंपरा है.
मिट्टी के अखाड़े
मुकाबले नरम मिट्टी के अखाड़ों में होते हैं. आम तौर पर रेफरी की भूमिका में भूतपूर्व पहलवान होते हैं.
हर किसी की कुश्ती
देश के सबसे पुराने खेलों में शुमार कुश्ती में कई एज ग्रुप के लड़के हिस्सा ले सकते हैं. वहां मुकाबले भार के बजाए उम्र के हिसाब से होते हैं.
सुरक्षाकर्मियों की कुश्ती
अफगान सुरक्षाकर्मी भी ट्रेनिंग के तौर पर कुश्ती का अभ्यास करते हैं. ट्रेनिंग कैम्पों में सुरक्षाकर्मियों के लिए भी कुश्ती के मुकाबले होते हैं.
नाटो सेनाओं की कुश्ती
अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान नाटो सैनिकों ने भी कुश्ती के गुर सीखे और दंगल में हिस्सा लिया. लोकल टीमों और सुरक्षाकर्मियों के बीच भी मुकाबले हुए.
बढ़ती लोकप्रियता
हिंसा का चौथा दशक झेल रहे अफगानिस्तान में कुश्ती की लोकप्रियता बढ़ रही है. सिर्फ काबुल में ही बीते 13 साल में 25 कुश्ती क्लब खुले हैं.