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अपने बड़ों से नाराज इटली के युवा

४ अप्रैल २०११

दुनिया भर के लिए सैलानियों की खास मंजिल इटली के नौजवानों में गुस्सा पनप रहा है. बेरोजगारी से परेशान युवा पीढ़ी को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा जिसके लिए वह अपने बुजुर्गों को जिम्मेदार ठहरा रही है.

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बेकारी से परेशान युवातस्वीर: AP

इटली के लोग अपने परिवार से बहुत प्यार करते हैं. ज्यादातर यूरोपीय के देशों के विपरीत इटली के बहुत से लोग शादी होने तक अपने माता पिता के साथ ही रहते हैं. लेकिन इसके पीछे एक और सच छिपा है. इटली यूरोप का ऐसा देश हैं जहां बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है और इसे लेकर नौजवानों में खासा गुस्सा है. अब यह गुस्सा पीढ़ियों के बीच टकराव का रूप ले रहा है.

रोम में अकसर होने वाले मार्चों में नौजवान शिक्षा बजट में कटौती और रोजगार की कमी के खिलाफ आवाज उठाते हैं. 15 से 29 साल के हर पांच लोगों में से एक के पास करने को कुछ नहीं है. जिनके पास नौकरी है भी, वे कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं जहां न तो अच्छी तनख्वाह मिलती है और न लंबे समय तक नौकरी बने रहने की गांरटी होती है. हाल में हुए सर्वे बताते हैं कि 25 से 34 साल की उम्र के आधे से ज्यादा लोग कहते हैं कि अगर इटली छोड़ना मुमकिन हुआ तो वह वे ऐसा करेंगे. इस सब के लिए नौजवान अपने बुजुर्गों को दोषी मानते हैं.

युवाओं की परवाह नहीं

द वीक नाम की पत्रिका निकालने वाले मारियो एदिनोल्फी बताते हैं, "हम 20 से 30 साल तक ऐसे लोगों के साथ रहे हैं जिन्होंने भविष्य की जरूरतों की चिंता किए बिना सब कुछ खुद ही हड़प लिया." अपनी पत्रिका के बारे में वह कहते हैं, "इस पत्रिका में ऐसे लोग लिखते हैं जो 1970 के बाद पैदा हुए. वे हमें बताते हैं कि हम युवा हैं भले ही उनकी उम्र अब 40 साल हो चली है."

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तस्वीर: AP

मारियो का कहना है कि देश का नेतृत्व ही बूढ़ा है जिसे युवाओं की ज्यादा चिंता नहीं है. इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बैर्लुस्कोनी की उम्र 75 साल है. संघीय सुधारों के मंत्री उमबर्तो बोसी की उम्र 70 साल है. मारियो के मुताबिक बूढ़े राजनेताओं, बैंकरों और पत्रकारों ने एक गठजोड़ बना लिया है जो इस बात को सुनिश्चित करता है कि उनकी पीढ़ी के लोगों की नौकरियां बची रहें, पेंशन मिलती रहे और अच्छे घर भी. इसीलिए 40 साल से कम उम्र के 68 फीसदी लोग अपने माता पिता के घर में रहते हैं.

यह बहुत ही संवेदनशील मामला है इसलिए देश के मीडिया में भी अकसर इसकी बात होती है. खासकर इटली के विकास मंत्री रेनातो ब्रूनेता के एक सुझाव पर तो सब भड़क गए. वह बताते हैं, "मैंने कहा कि मैं एक ऐसा कानून पारित करना चाहता हूं जिसके मुताबिक 18 साल की उम्र में युवाओं को घर छोड़ना होगा. सब लोग इस बात पर फट पड़े. वामपंथी भी, दक्षिणपंथी भी. वामपंथियों ने कहा कि मुद्दा बच्चों के घर रहने का नहीं है, नौकरी का है. दक्षिणपंथियों ने कहा, नहीं. परिवारों को अलग मत कीजिए."

Proteste gegen Schulreform in Italien
तस्वीर: AP

कानूनी जंग

वैसे यह पूरी बहस उत्तरी इटली में एक अदालती मामले से शुरू हुई जिसमें एक महिला ने अपने पिता पर मुकदमा कर दिया कि वह उसका खर्च उठाए. वह जीत भी गई. ब्रूनेता कहते हैं कि अपने से पहले वाली पीढ़ी को जिम्मेदार ठहराना या जबरदस्ती खर्च वसूलना जिम्मेदारी से बचना है.

डांस सिखाने वाली मारीना कासाग्रांदा को भी अपने हक के लिए इसी तरह लड़ना पड़ा. आज रात वह छह साल के बच्चों को डांस सिखा रही हैं. कल वह कपड़ों की एक दुकान में काम करेंगी. दुकान का काम घर पर भी लेकर जाएगी और वहां भी सिलाई करेंगी. यह सब करके उन्हें महीने में एक हजार डॉलर भी नहीं मिलते, जिसमें गुजारा मुश्किल है. अपने खर्च के लिए उन्होंने भी अपने पिता पर केस किया. वह कहती हैं, "इटली के मीडिया ने मुझे ऐसी लड़की के तौर पर पेश किया जो घर पर बैठ कर दिन भर कुछ नहीं करती और हर शाम पार्टी करती है. मौज मस्ती करती है, लेकिन असल में मुझे काम करना पड़ता है."

सिर्फ इटली के मीडिया में ही नहीं, अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया के अखबारों में कासाग्रांदा का मजाक उड़ाया गया और कहा गया कि वह इस बात की मिसाल है कि आज के युवा कैसे अपने सच के साथ गलत रास्ते पर जा रहे हैं. लेकिन मीडिया में यह बात नहीं आई कि कासाग्रांदा ने असल में अपने पिता पर इसीलिए केस किया क्योंकि वह अपनी मां का गुजारा भत्ता चाहती है, जो उसके पिता से अलग रहती थी. कासाग्रांदा की कमर का ऑपरेश भी होना था जिसका खर्च उसकी मां नहीं उठा सकती थी.

Studentenproteste in Italien
तस्वीर: AP

देश का क्या होगा

मारियो एदीनोल्फी अपने दफ्तर में हैं और द वीक पत्रिका के अगले अंक की तैयारियों में जुटे हैं. वह थके हुए हैं, लेकिन जोश बनाए रखना चाहते हैं. मारियो का कहना है कि इटली में युवाओं को घुटन होती है तो वह भी इससे अछूते नहीं हैं. वह कहते हैं, "नौजवान नई चीजें दे सकते हैं. सब जगह ऐसा होता है. 20 साल के मार्क जुकरबर्ग को देखिए. इटली में तो आप ऐसा सोच भी नहीं सकते. आप घर पर रहिए. यह आसान है. अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो बहुत मुश्किल है. लेकिन ऐसे तो देश खत्म हो जाएगा."

रिपोर्टः डीडब्ल्यू/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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