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अखाड़े की मिट्टी से भारत को कांसा

१२ अगस्त २०१२

बचपन का सपना शरीर की चोटों के आगे दम तोड़ चुका था लेकिन मन ने हार नहीं मानी वो आगे बढ़ते गए और घंटे भर से भी कम समय में तीन सूरमाओं को धूल चटा कर तमगा जीत लिया, ओलंपिक में भारत की एक और कामयाबी, पहलवान योगेश्वर दत्त.

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तस्वीर: Getty Images

अखाड़े में जोर आजमाइश कर रहे योगेश्वर की सपना देखने वाली आंखों में चोट भी लगी लेकिन जबरदस्त ताकत और साहस से उन्होंने उसे नजरअंदाज किया और तीसरे राउंड में कोरिया के रि जोंग म्योंग को 3-1 से पछाड़ दिया. इसके साथ ही कुश्ती में पदक जीतने वाले वो भारत के तीसरे पहलवान बन गए. उनसे पहले 2008 के बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार और 1952 में के डी जाधव ने ओलंपिक पदक जीता था.

29 साल के योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलंपिक में भारत के लिए कांसा जीत कर कुल पदकों की संख्या पांच कर दी है जो संख्या के लिहाज से ओलंपिक में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. 60 किलोग्राम वर्ग के फ्रीस्टाइल मुकाबले के लिए पूरे दिन में पांच पहलवानों को चित्त करने के बाद जब पदक हासिल हुआ तो योगेश्वर दत्त ने कहा, "मैं इस जीत को मेरे देशवासियों, मेरे साथ बराबर मेहनत करने वाले मेरे कोच और मेरे लिए दुआ मांगने वालों को समर्पित करता हूं."

Saina Nehwal Indien Badminton London 2012 Badminton
तस्वीर: AP

मुकाबले के बारे में योगेश्वर दत्त ने कहा, "मेरा ग्रुप बहुत मुश्किल था और मुझे विश्व चैम्पियन से भिड़ना था. मैं जीतना चाहता था और इसके लिए मैंने काफी तैयारी की थी. मैं खुश हूं कि मैंने पदक जीतने का अपना सपना पूरा कर लिया." योगेश्वर को जीत तो मिली लेकिन मुकाबले के दौरान ऐसे कई मौके आए जब उन्हें लगा कि अब वो नहीं टिक पाएंगे. योगेश्वर ने बताया, "सुबह जब हार मिली तो मैं बहुत निराश हो गया था लेकिन रेपचेज के दौरान मुझे दोबारा मौका मिला तो मैं जानता था कि पूरा देश मुझसे पदक की उम्मीद कर रहा है. मैं इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था. ईश्वर की बहुत कृपा रही है मुझ पर."

म्योंग के साथ अपने मुकाबले के बारे में योगेश्वर ने कहा, "मैंने फिटेले (पांव मोड़ने वाली) तकनीक का इस्तेमाल किया और पांच अंक हासिल किए इसी ने मुझे जीत दिलाई. मैं खुश हूं कि यह मेरे काम आई." योगेश्वर ने माना कि वह बहुत थके थे लेकिन उस वक्त उनके दिमाग में बस पदक जीतने की बात ही याद थी जिसने उन्हें सारी तकलीफों के बावजूद मुकाबले में बनाए रखा. विजेता पहलवान ने कहा, "ओलंपिक मेडल जीतना एक सपने का सच होना है. मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी और मैं बयान नहीं कर सकता कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है. यह मेरे लिए एक बेहद खास लम्हा है."

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तस्वीर: dapd

योगेश्वर की जीत ने भारत की ओलंपिक उम्मीदों को भी नई ऊंचाई दे दी है. प्रधानमंत्री और खेल मंत्री समेत तमाम देशवासियों उन्हें बधाई दी और जीत का जश्न मनाया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हूडा ने दत्त को 1 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है. खेल मंत्री तो उम्मीद कर रहे हैं कि ओलंपिक पूरा होते होते कुछ और तमगे भारत की झोली में आ ही जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने 2020 के ओलंपिक में भारत के 25 पदक जीतने की भविष्यवाणी भी कर दी है.

सोनीपत के योगेश्वर दत्त बीजिंग ओलंपिक में भी बहुत मामूली फर्क से पदक जीतने में नाकाम रहे थे. वहां पदकों के इतने करीब पहुंचने की वजह से ही वो लंदन में जीत हासिल कर सके. बीजिंग में उनके दोस्त सुशील ने जीत हासिल की. बीजिंग ओलंपिक में हार के बाद योगेश्वर के घुटने में गंभीर चोट लग गई थी औ उसके बाद उनका करियर दांव पर था लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने वापसी की और कॉमनवेल्थ खेलों में सोना जीता. इसी साल एशियाई चैम्पियनशिप में भी उन्होंने जीत हासिल की. इसके अलावा प्यूर्टो रिको और ईरान के भी अहम मुकाबलों को अपने नाम किया.

एनआर/एमजे (पीटीआई)

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