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शरणार्थी आज भी झेल रहे हैं कोलोन सेक्स अटैक के नतीजे

१६ दिसम्बर २०१६

पिछले एक साल में जर्मनी में शरणार्थियों के प्रति नफरत बढ़ती नजर आ रही है. कोलोन में 31 दिसंबर 2015 की रात ने सब बदल दिया.

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Köln Hauptbahnhof Vorplatz Dom
तस्वीर: Reuters/W. Rattay

कोलोन में 31 दिसंबर 2015 की रात कुछ लड़कियों पर यौन हमले हुए. लड़कियों का आरोप है कि ये हमले करने वाले लोग विदेशी मूल के थे. पुलिस ने बताया कि करीब 1200 शिकायतें आईं जिनमें से 500 से ज्यादा यौन हमलों की थीं. इस घटना ने पूरे देश को दहला दिया और शरणार्थियों के समर्थन में बह रही सहानुभूति की बयार को उलट दिया. देश का माहौल एकदम बदल गया. जगह जगह से शरणार्थियों के विरोध की आवाजें सुनाई देने लगीं. शरणार्थियों के विरोधी लोग जो हाशिये पर थे, ताकतवर होकर केंद्र में आ गए. अब इस घटना को एक साल होने को आया, लेकिन इसके नतीजे आज भी महसूस किए जा सकते हैं.

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पश्चिमी जर्मनी के शहर कोलोन के मशहूर चर्च के पास ही यह घटना हुई थी. वहां खड़ीं दो लड़कियां सारा और लॉरा कहती हैं कि उस घटना का असर आज भी है. 25 साल की सारा बताती हैं, "उस घटना के बाद से सभी शरणार्थियों को शक की निगाह से देखा जाने लगा. यह बहुत गलत बात है लेकिन सच यही है." सारा की 20 वर्षीया दोस्त लॉरा भी सहमत हैं. वह कहती हैं कि उन्हें खुद डर लगने लगा था. लॉरा के शब्दों में, "ऐसा हुआ था. घटना तो हुई थी. और उसे आप भुला तो नहीं सकते. अब विदेशियों के खिलाफ नफरत पहले से कहीं ज्यादा है."

कोलोन के उस हमले ने जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल को भी आलोचनाओं के घेरे में ला दिया था. कभी शरणार्थियों के लिए दरवाजे और बाहें खोलने वाली मैर्केल इस काम के लिए तारीफ बटोरा करती थीं. लेकिन इस एक घटना ने उनकी लोकप्रिय नीति को डुबो दिया और खुद उनकी लोकप्रियता को भी. 2017 में देश में चुनाव होने हैं और अंगेला मैर्केल लगातार चौथी बार चांसलर बनने के लिए मैदान में हैं लेकिन इन चुनावों पर 2015 की उस घटना का साया भी होगा. मैर्केल की शरणार्थी नीति को नापसंद करने वाली पार्टियां कोलोन की घटना का इस्तेमाल कर रही हैं.

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कोलोन रिफ्यूजी काउंसिल नाम संस्था के निदेशक क्लाउस-उलरिच प्रोलेस कहते हैं, "ऐसा नहीं था कि कोलोन की घटना ने कुछ नया शुरू कर दिया. असल में जो पहले से हो रहा था, कोलोन की घटना ने उसी सोच को रफ्तार दे दी." 27 साल के सीरियाई शरणार्थी साखर अल-मोहम्मद कहते हैं कि उस घटना के बाद मूड एकदम बदल गया था. साखर ने एक अभियान शुरू किया, जिसका नाम है सीरियंस अगेंस्ट सेक्सिज्म. अपने इस अभियान के जरिए वह कहना चाहते हैं कि शरणार्थी भी जर्मन महिलाओं के साथ खड़े हैं. लेकिन प्रोलेस कहते हैं, "राजनीतिक तौर पर तो उस घटना की सजा सारे शरणार्थियों को मिली."

2016 में जर्मनी में लगभग तीन लाख शरणार्थी आए हैं, 2015 के करीब नौ लाख शरणार्थियों से कहीं कम.

वीके/एके (एएफपी)