चिट्ठियों का जवाब देने वाला पेड़
कभी पेड़ों से बात की है? जर्मनी में आप एक पेड़ को चिट्ठी लिख सकते हैं और आपको जवाब भी मिलेगा. पहले चिट्ठियां पाने वाला यह पेड़ युष्टविंड हुआ करता था लेकिन उसकी मौत हो गई तो उसका काम इरोना ने संभाल लिया है.
यह है युष्टविंड
कई साल से युष्टविंड को चिट्ठियां मिल रही थीं. डुसेलडॉर्फ के एक पार्क में खड़ा यह पेड़ 150 से 200 साल पुराना है. 1998 में इस पेड़ को नैचरल मॉन्युमेंट का दर्जा मिला था.
बचाते रहे लोग
इस पेड की जान पर कई बार बन आई थी. लेकिन लोग हमेशा इसे बचाते रहे. दूसरे विश्व युद्ध में कई हमले हुए. एक बार आग लग गई थी. और फिर जब शहर में नई बस्तियां बसाने लगे तो भी इसे काटने की बात उठी. लेकिन लोगों ने ऐसा होने नहीं दिया.
कैसी कैसी चिट्ठियां
युष्टविंड को हर तरह की चिट्ठियां आईँ. कोई उसे लव लेटर लिखता तो कोई इधर उधर की बातें ही भेज देता. कई बार तो लोग अपने राज, अपने दिल की बातें भी लिख भेजते.
डाकिये से मिलिए
युष्टविंड के लिए चिट्ठियां लाने का काम करने वाले डाकिये का नाम है इकरम डोंडर. अखरोट का यह पेड़ बहुत से लोगों के लिए पेड़ से बढ़कर बहुत कुछ है.
दुनियाभर में हैं दोस्त
डोंडर बताते हैं कि युष्टविंड को दुनियाभर से चिट्ठियां आती हैं. लोग पेड़ को पत्र लिखने का लोभ रोक नहीं पाते. न्यूजीलैंड, चीन और ऑस्ट्रेलिया से भी पत्र आए हैं.
चांसलर की चिट्ठी
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल भी युष्टविंड को एक चिट्ठी लिख चुकी हैं. 2014 में उन्होंने एक पत्र भेजा था. और क्या लिखा था? अरे, दूसरों की चिट्ठियां नहीं पढ़ते जनाब.
युष्टविंड बीमार
2006 में युष्टविंड बीमार हो गया था. उस पर फफूंदियों ने हमला बोल दिया. तब उसकी दो डालें काटनी पड़ी थीं. तब अधिकारियों ने पेड़ को काटने की सोची तो ओटो कीकर नाम के एक पर्यावरण प्रेमी ने अभियान छेड़ इसे कटने से बचाया.
फिर बीमार
2015 के आखिर में युष्टविंड फिर बीमार हो गया. और इस बार उसे बचाया नहीं जा सका. उसकी मौत हो गई. लेकिन जिंदगी नहीं रुकती. उसकी जगह इरोना ने ले ली. इरोना को उसकी पहली चिट्ठी 11 साल की लेनी क्लासेन ने पेश की.
कहां लिखें चिट्ठी
आपका मन हो रहा है क्या इरोना को चिट्ठी लिखने का? लिखिए ना. पता है: Kleine Himmelgeister Kastanie, Kölner Weg, 40589 Düsseldorf, Germany.