जलवायु परिवर्तन ने किया हिमहाथी का सफाया
२ अगस्त २०१६अब तक यह माना जाता रहा कि 10,500 साल पहले हिमहाथी, इंसानी गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन के चलते खत्म हुए. हिमयुग खत्म होने के बाद इंसान धरती के अलग अलग कोनों में फैलना शुरू हुआ और उसने इन विशाल जीवों को खत्म किया.
लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस बात का सबूत मिला है कि मोटी फर वाले हिमहाथी प्यास के चलते मारे गए. अलास्का के आस पास मिले कई जीवाश्मों के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक 10,500 साल पहले गर्मी बढ़ने से समुद्र का जलस्तर बहुत ऊंचा हो गया. सेंट पॉल द्वीप पर बचे आखिरी हिमहाथी इसकी चपेट में आए. द्वीप का बड़ा हिस्सा डूब गया. मीठे पानी की झीलों में समुद्र का खारा पानी चला गया. हिमहाथी बहुत छोटे से इलाके में सिमट गए और प्यास से जूझने लगे.
पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रसेल ग्रैहम के मुताबिक, "कई झीलें सूख भी गईं, जानवर गड्ढों में जमा पानी के आस पास जमा हो गए. हम जानते हैं कि आज के हाथियों को हर दिन 70 से 200 लीटर पानी चाहिए. हमारा अनुमान है कि हिमहाथियों भी इतने ही पानी की जरूरत पड़ती होगी. पानी की इतनी ज्यादा जरूरत ने गड्ढों में जमा पानी को भी बहुत जल्द खत्म कर दिया होगा, उसके बाद प्राणघातक हालात बने."
वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन भविष्य में भी छोटे द्वीपों की इस तरह हालत खराब कर सकता है.