भारत हो या पाकिस्तान, या फिर बांग्लादेश रिक्शे के बिना काम नहीं चलता. आम तौर पर आपने पुरूषों को ही रिक्शा चलाते देखा होगा. लेकिन अब कई महिलाएं भी इस क्षेत्र में कदम रख रही हैं.
महिला सवारी, महिला ड्राइवर
छाया मोहिते मुंबई की पहली महिला ऑटो ड्राइवरों में से एक हैं. यह तस्वीर मार्च 2017 की है जब उन्हें ऑटो रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी.
महिला सशक्तिकरण
सशक्तिकरण से जुड़ी एक योजना के तहत कई महिलाओं को ऑटो रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग दी गयी. ऑटो ही नहीं, अब भारत में कई महिलाएं टैक्सी भी चला रही हैं.
पुरुषों के बीच दस्तक
भारत में ऑटो, रिक्शा या फिर टैक्सी चलाने के काम को अकसर पुरूषों से जोड़कर ही देखा जाता है. लेकिन अब इस क्षेत्र में भी महिलाओं के कदमों की दस्तक सुनायी दे रही है.
हैं तैयार हम
ये हैं मोसामत जैस्मीन जो बांग्लादेश में अकेली रिक्शा चालक महिला बतायी जाती हैं. बैटरी से चलने वाले अपने रिक्शे के साथ वह चटगांव में बहुत से लोगों के लिए कौतूहल का विषय हैं.
"क्रेजी आंटी"
अपने रंग बिरंगे रिक्शे के साथ जैस्मीन नारीवादी लोगों के लिए एक आइकन हो सकती हैं. लेकिन चटगांव में उनके रिक्शे में बैठने वाले लोगों के लिए वह बस "क्रेजी आंटी" हैं.
पिंक रिक्शा
पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक एनजीओ ने 2015 में "पिंक रिक्शा" पहल शुरू की. इसका मकसद महिला सशक्तिकरण के साथ साथ महिलाओं के साथ पुरुष ऑटो ड्राइवरों की बदसलूकी रोकना भी था.
अच्छी पहल
महिला सुरक्षा के लिए कई लोग ऐसी पहलों को अहम मानते हैं. लेकिन ऐसी पहलों को लगातार आगे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों में सार्वजनिक परिहवन में अब भी महिलाओं की हिस्सेदारी कम ही दिखती है.
महिला सवारी, महिला ड्राइवर
छाया मोहिते मुंबई की पहली महिला ऑटो ड्राइवरों में से एक हैं. यह तस्वीर मार्च 2017 की है जब उन्हें ऑटो रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी.
महिला सशक्तिकरण
सशक्तिकरण से जुड़ी एक योजना के तहत कई महिलाओं को ऑटो रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग दी गयी. ऑटो ही नहीं, अब भारत में कई महिलाएं टैक्सी भी चला रही हैं.
पुरुषों के बीच दस्तक
भारत में ऑटो, रिक्शा या फिर टैक्सी चलाने के काम को अकसर पुरूषों से जोड़कर ही देखा जाता है. लेकिन अब इस क्षेत्र में भी महिलाओं के कदमों की दस्तक सुनायी दे रही है.
हैं तैयार हम
ये हैं मोसामत जैस्मीन जो बांग्लादेश में अकेली रिक्शा चालक महिला बतायी जाती हैं. बैटरी से चलने वाले अपने रिक्शे के साथ वह चटगांव में बहुत से लोगों के लिए कौतूहल का विषय हैं.
"क्रेजी आंटी"
अपने रंग बिरंगे रिक्शे के साथ जैस्मीन नारीवादी लोगों के लिए एक आइकन हो सकती हैं. लेकिन चटगांव में उनके रिक्शे में बैठने वाले लोगों के लिए वह बस "क्रेजी आंटी" हैं.
पिंक रिक्शा
पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक एनजीओ ने 2015 में "पिंक रिक्शा" पहल शुरू की. इसका मकसद महिला सशक्तिकरण के साथ साथ महिलाओं के साथ पुरुष ऑटो ड्राइवरों की बदसलूकी रोकना भी था.
अच्छी पहल
महिला सुरक्षा के लिए कई लोग ऐसी पहलों को अहम मानते हैं. लेकिन ऐसी पहलों को लगातार आगे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों में सार्वजनिक परिहवन में अब भी महिलाओं की हिस्सेदारी कम ही दिखती है.