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यह है यू ट्यूब का सबसे नापसंद वीडियो

विवेक कुमार१ जुलाई २०१६

किसी फिल्म को क्या आप सिर्फ इस आधार पर नापसंद करेंगे कि उसमें एक भी पुरुष नहीं है? अगले महीने आने वाली फिल्म "गोस्टबस्टर्स" को इसी वजह से आलोचना झेलनी पड़ रही है.

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Symbolbild - Gleichgeschlechtliche Ehe
तस्वीर: Getty Images

फिल्म गोस्टबस्टर्स का ट्रेलर यूट्यूब का सबसे ज्यादा नापसंद किया जाने वाला वीडियो बन गया है. इसे लगभग नौ लाख डिसलाइक मिल चुके हैं. और इसकी वजह यह है कि फिल्म में सिर्फ महिलाएं हैं. और यह बात लोगों को इस कदर नागवार गुजर रही है कि वे फिल्म के डायरेक्टर पॉल फीग को और अन्य कलाकारों को सोशल मीडिया पर जमकर कोस रहे हैं.

एक ट्वीट से समझा जा सकता है कि विरोधी कितने गुस्से में हैं. ट्वीट है: यह कचरा बस फेमिनात्सियों को खुश करने के लिए बनाया गया है.

32 साल पहले गोस्टबस्टर्स फिल्म बनी थी तब इसमें सिर्फ पुरुष कलाकार थे. ‘ब्राइड्समेड' जैसी फिल्म दे चुके फीग ने इसे सिर्फ महिला कलाकारों के साथ बनाया है. इसमें केट मैकिन्सन, मेलिसा मैकार्थी, लेज्ली जोन्स और क्रिस्टन वीग ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

सोनी पिक्चर्स के मुख्यालय में हाल ही में हुई एक कॉन्फ्रेंस में फीग भी थे. उन्होंने कहा, “पिछले दो साल में मैंने औरतों के प्रति नफरत जाहिर करती ऐसी ऐसी बातें सुनी हैं जो आपने पूरी जिंदगी में नहीं सुनी होंगी. लोगों ने जो कुछ कहा है, वह हाड़ तक कंपा देने वाला है.”

हाल ही में जब स्टार वॉर्स के निर्माताओं ने पुरुष को लीड रोल में लेकर छह फिल्में बनाने के बाद किसी महिला को लीड बनाने का फैसला किया तो भी ऐसी ही प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थीं. फीग कहते हैं, “दुनिया से यह भेदभाव खत्म करने के खिलाफ हम हर रोज संघर्ष कर रहे हैं. मीडिया आज भी हमें चिक-फ्लिक जैसे विशेषणों से नवाजता है. हमारी फिल्म का नाम यह बताए बगैर नहीं लिया जाता कि इस फिल्म में सिर्फ महिलाएं हैं. इस बात से मैं पागल हो जाता हूं. जिन फिल्मों में सिर्फ पुरुष हैं, उनके लिए तो ऐसा नहीं कहा जाता. 2016 में हमें इस तरह की लड़ाई लड़नी पड़ रही है, यकीन नहीं होता.”

सैन डिएगो यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर स्टडी ऑफ विमेन इन टेलीविजन ऐंड फिल्म में पढ़ाने वाली मार्था लाउजेन कहती हैं, “गोस्टबस्टर्स को मिल रही गालियां बताती हैं कि यह बात किस गहराई तक हमारे अंदर समाई हुई है कि बड़े बजट की मुख्यधारा की फिल्म तो मर्दों का ही इलाका हैं.” वह कहती हैं कि आमतौर पर ये फिल्में पुरुष ही बनाते हैं, पुरुषों को लेकर बनाते हैं और बनाते वक्त जो ऑडियंस दिमाग में होती है उसमें भी ज्यादातर नौजवान लड़के होते हैं. इसके अलावा जो लोग इन फिल्मों को रिव्यू करते हैं वे भी पुरुष होते हैं. लाउजेन कहती हैं, “ऐसे में अगर आप ऐसी कोई फिल्म सिर्फ महिलाओं को लेकर बनाएंगे तो लोगों को लगेगा कि आप उनके इलाके पर हमला कर रहे हैं.”

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लाउजेन की एक रिसर्च है कि हॉलीवुड में 2015 में बनीं 250 सबसे बड़ी फिल्मों में से सिर्फ 9 फीसदी की निर्देशक महिलाएं थीं. लेखिकाएं सिर्फ 11 फीसदी थीं. सदर्न कैलिफॉर्निया की यूनिवर्सिटी ने 2014 में फिल्मों और टीवी पर दिखे सभी महिला किरदारों का अध्ययन किया. इसके मुताबिक कुल 11,306 किरदार थे जिन्हें डायलॉग्स मिले थे. उनमें से दो तिहाई पुरुष थे. फिल्मों में इनकी संख्या तीन चौथाई तक थी. लेकिन, मजे की बात यह है कि जिन फिल्मों में महिला किरदार प्रधान थे उनकी कमाई पुरुष प्रधान फिल्मों से ज्यादा रही.

वीके/आरपी (रॉयटर्स)