क्यों होता है प्यार?
वो गाना है ना, हो जाता है कैसे प्यार... न जाने कोई. न जाने कोई. ऐसा कैसे हो जाता कि कोई शख्स आपके दिल ओ दिमाग पर कब्जा कर ले? आपके पूरे वजूद पर कब्जा कर ले. बहुत से लोगों ने इसके बारे में लिखा है. ये रहीं कुछ थ्योरीज.
पूर्णता का अहसास
प्लेटो ने अपनी किताब ‘सिम्पोजियम’ में कहा कि कभी इंसान की एक टांग होती थी और चार बाहों वाले शरीर पर दो सिर होते थे. फिर उसने ईश्वर को नाराज कर दिया. आसमान में बिजली कड़की. इंसान के दो टुकड़े हो गए. इस तरह आदमी अपने पार्टनर से अलग हो गया. इसलिए उसे पूर्णता के लिए किसी और की जरूरत पड़ती है और प्यार हो जाता है.
अकेलापन कठोर है
बीसवीं सदी के महान लेखक बर्ट्रेंड रसेल कहते हैं कि इंसान का जन्म हुआ था बच्चे पैदा करने के लिए. लेकिन बिना प्यार के सेक्स संतोष नहीं देता. लेकिन दुनिया से अकेले लड़ना, अकेले ही जिंदा रहने का संघर्ष करना डराता है. प्यार उस डर से बचाता है. उस डर से बचने के लिए ही लोग प्यार करते हैं.
कुदरत की चालाकी
18वीं सदी के दार्शनिक आर्थर शोपेनहावर के मुताबिक इच्छाएं ही इंसान को सोचने की ताकत देती हैं. लेकिन यह सब कुदरत की चालाकी है. इच्छाओं से प्यार होता है. दो इंसान मिलते हैं और बच्चे पैदा करते हैं. फिर वह प्यार ममत्व बनकर बच्चों पर बरसने लगता है. बच्चे पैदा करवाने के लिए कुदरत यह चालाकी करती है.
प्यार दर्द है
महात्मा बुद्ध कह गए कि लोग प्यार करते हैं इच्छाएं पूरी करने के लिए, लेकिन यह तो दुखों का घर है. किसी से जुड़ाव दुख देता है. बुद्ध कहते हैं कि निर्वाण हासिल करने के लिए तो इच्छाओं के इस समुद्र से निकलना ही होगा. शांति प्राप्त करने के लिए इन सबसे ऊपर उठ जाना होगा.
जीवन को अर्थ देने के लिए
मशहूर अस्तित्ववादी लेखिका सिमोन द बोभोआ एक अलग ही सिद्धांत देती हैं. उनके मुताबिक प्यार लोगों को एक दूसरे से मिलने और बात करने का मौका देता है. इससे जीवन अर्थपूर्ण हो जाता है. लेखक सार्त्र के प्यार में पागल रहीं सिमोन कहती हैं कि प्यार का मतलब है एक दूसरे का साथ देना, सहयोग करना और वह हासिल करना, जो अकेले हासिल नहीं किया जा सकता.
अपना अपना प्यार
और शायर जकारिया शाज के अल्फाज में... मोहब्बत हौसला है अपना अपना कहीं मंज़िल किसी का रास्ता है