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बेनजीर भुट्टो को किसने मारा?

२७ दिसम्बर २०१७

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के दस साल बाद भी यह सवाल अपनी जगह कायम है कि उन्हें किसने मारा. इन दस साल में अटकलबाजियों के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा है.

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Pakistan | Gedenken an Benazir Bhutto
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Khan

27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक चुनावी रैली में हुए हमले में बेनजीर भुट्टो मारी गईं. यह बहुत बड़ी घटना थी जिसमें एक लोकप्रिय नेता की जान गई लेकिन इसके पीछे किसका हाथ था, यह अब तक साफ नहीं हुआ है. 2017 की शुरुआत में दो पुलिस अधिकारियों को घटनास्थल पर "उचित कदम ना उठाने" का दोषी करार दिया गया. इस मामले में अब तक सिर्फ इन दो लोगों को दोषी करार दिया गया है. अब तक यही बताया जाता है कि हत्यारे ने बेनजीर भुट्टो की गर्दन में गोली मारी और उसके बाद खुद को उड़ा लिया. इस हमले में 24 अन्य लोग भी मारे गए थे.

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लेकिन इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिल पाया है कि इस हत्या के पीछे किसका हाथ है, किसके कहने पर बेनजीर को मारा गया. पाकिस्तान में इस बारे में कई थ्योरी चल रही हैं.

उस वक्त राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार ने इस हत्या के लिए पाकिस्तानी तालिबान के प्रमुख बैतुल्लाह महसूद को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि तालिबान ने नेता इससे इनकार किया. बैतुल्लाह 2009 में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया. बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान में चरमपंथ के बिल्कुल खिलाफ थीं. उन्हें तालिबान, अल कायदा और स्थानीय जिहादियों की तरफ से धमकियां भी मिलती थीं. लेकिन जांचकर्ताओं की छानबीन निचले स्तर के कारिंदों पर ही केंद्रित रही. उन्होंने इसकी योजना बनाने, इसके लिए पैसा मुहैया कराने या फिर इस पर अमल कराने वाले लोगों तक पहुंचने की दिशा में कम ही ध्यान दिया.

ऐसे भी आरोप लगते हैं कि मुशर्रफ खुद चुनावों से पहले बेनजीर भुट्टो को मरवाना चाहते थे. 2013 में एक पाकिस्तानी अदालत में उनके खिलाफ हत्या से जुड़े आरोप भी तय हुए. लेकिन 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान से भाग गए और अब निर्वासन में रह रहे हैं. उन्हें इस मामले में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है.

बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद सत्ता में आई उनकी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार के आग्रह पर तीन सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने भी इस मामले की जांच की. 2010 में जारी 70 पन्नों की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने भुट्टो को पर्याप्त सुरक्षा न देने के लिए मुशर्रफ प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. रिपोर्ट के अनुसार, "भुट्टो की हत्या को रोका जा सकता था अगर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाती."

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बरसी पर हर साल बेनजीर भुट्टो की मजार उनके चाहने वालों को तांता लगता हैतस्वीर: picture-alliance/dpa/W.Hussein

यूएन की टीम ने मामले की छानबीन में पुलिस की तरफ से की गई लापरवाहियों का भी जिक्र किया. हमले के दो घंटे के भीतर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी खुर्रम शहजाद ने हत्या की जगह को धुलवा दिया था. वह उन दो अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें दोषी करार दिया गया है. इस मामले में दोषी करार दिए गए अन्य अधिकारी तत्कालीन रावलपिंडी पुलिस चीफ सऊद अजीज थे, जिन्होंने बार बार आग्रह के बावजूद बेनजीर भुट्टो के शव का परीक्षण नहीं होने दिया था.

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने संयुक्त राष्ट्र के आयोग को बताया कि उन्होंने घटनास्थल से 23 सबूत जमा किए थे, जबकि "ऐसी जगह से आम तौर पर हजारों सबूत मिलते हैं". लेकिन संयुक्त राष्ट्र की टीम इस मामले में पुलिस की अक्षमता से परे भी कुछ और चीजों की तरफ संकेत करती है. उसके मुताबिक हो सकता है कि आधिकारिक जांच को सुरक्षा प्रतिष्ठान ने प्रभावित किया हो. रिपोर्ट में बेनजीर भुट्टो की हत्या करने वाले संदिग्धों का नाम नहीं दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक यह तय करना पाकिस्तानी अदालतों का काम है.

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बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहींतस्वीर: picture-alliance/dpa/T. röstlund

बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सरकार बनी और बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने. लेकिन वह बेनजीर के हत्यारों को बेनकाब करने में नाकाम रहे. ऐसे में, शक की सुई जरदारी की तरफ भी जाती है. इस बारे में अटकलों को तब और जोर मिला जब जरदारी के वरिष्ठ सहयोगी बिलाल शेख 2013 में कराची में एक आत्मघाती बम हमले में मारे गए. जब बेनजीर भुट्टो 2007 में निर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटी थीं तब शेख ही उनकी सुरक्षा के इंचार्ज थे. कराची में हुए हमलों में बेनजीर के काफिले को निशाना बनाया गया. हमले में बेनजीर को तो नुकसान नहीं हुआ लेकिन अन्य 140 लोग मारे गए.

यूएन की जांच का नेतृत्व करने वाले चिली के राजनयिक हेराल्डो मुंजो कहते हैं कि यह कल्पना करना हास्यस्पद है कि बेनजीर की हत्या में उनके पति का हाथ था. उनका कहना है कि अल कायदा बेनजीर को मरवाना चाहता था जबकि पाकिस्तानी तालिबान ने इस हमले को अंजाम दिया, संभवतः उन्हें कुछ खुराफाती खुफिया एजेंटों का भी साथ मिला. उनके मुताबिक पुलिस ने इस मामले को दबाया और उन्हें भरोसा है कि ऐसा करने के लिए उन्हें "ऊपर से आदेश मिले होंगे". मुंजो कहते हैं कि जो लोग बेनजीर को वापस पाकिस्तान लौटने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे, वे उनको पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहे.

कुछ लोग इस बारे में बेनजीर भुट्टो के विश्वासपात्र अंगरक्षक खालिद शहंशाह की तरफ भी ऊंगली उठाते हैं. कुछ वीडियो क्लिप्स में उन्हें उस मंच पर अजीब की हरकतें करते दिखाया गया है, जहां से बेनजीर भुट्टो ने रैली को संबोधित किया. यह उनकी मौत से कुछ देर पहले की बात है. इसके कुछ महीनों बाद कराची में शहंशाह की रहस्यमयी तरीके से हत्या कर दी गई.

एके/ओएसजे (एएफपी)