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हथियार-व्यापार: अमेरिकी हिस्सेदारी में रूस-कोरिया की सेंध

५ दिसम्बर २०१६

2015 में 2014 के मुकाबले थोड़े से कम हथियार बिके हैं. सबसे ऊपर अब भी अमेरिकी कंपनियां हैं लेकिन अन्य कंपनियों का हिस्सा बढ़ रहा है.

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A C 130J Super Hercules of the Royal Australian Air Force turns on to final approach at Nellis Air F
तस्वीर: Imago/StockTrek Images

हथियार बेचने के मामले में 2015 में भी अमेरिका और पश्चिमी यूरोपीय देशों की कंपनियां ही सबसे आगे रहीं लेकिन रूस और दक्षिण कोरियाई कंपनियां भी तेजी से आगे बढ़ी हैं. स्वीडन के एक शोध संस्थान ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें 2015 में हुई हथियारों की बिक्री के बारे में बताया गया है.

हथियार बनाने वाली और सैन्य सेवाएं देने वाली दुनिया की 100 सबसे बड़ी कंपनियों ने 2015 में कुल मिलाकर 370.7 अरब डॉलर का व्यापार किया. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूटय (सिप्री) के मुताबिक 2014 के मुकाबले यह 0.6 प्रतिशत कम है. इन 100 कंपनियों में सबसे ज्यादा 39 अमेरिका की हैं और 2015 का आधे से ज्यादा व्यापार इन्हीं 39 कंपनियों ने किया. अमेरिकी कंपनियों ने कुल 209.7 अरब डॉलर के हथियार और सैन्य सेवाएं बेचीं. सिप्री का कहना है कि अमेरिकी हथियार व्यापार में 2014 के मुकाबले 3 फीसदी की कमी आई है. इसकी वजह अमेरिका में खर्च में कटौती, डॉलर की मजबूती और एफ-35 जॉइंट स्ट्राइक फाइटर जैसे विमानों की डिलिवरी में हुई देरी है.

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हथियार बेचने के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी अब भी लॉकहीड मार्टिन ही है. उसने 36.4 अरब डॉलर के हथियार बेचे. उसकी मुकाबिल कंपनी अमेरिका की बोइंग 27.9 अरब डॉलर के व्यापार के साथ दूसरे नंबर पर रही. ब्रिटेन की बीएई सिस्टम्स ने 25.5 अरब डॉलर के हथियार बेचकर तीसरे नंबर पर रही.

पश्चिमी यूरोप की हथियार निर्माता कंपनियों ने 2015 में पहले से बढ़ोतरी की है. उन्होंने कुल मिलाकर 95.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे जो 2014 के मुकाबले 6.6 फीसदी ज्यादा है. सिप्री के हथियार और सैन्य खर्च कार्यक्रम के प्रमुख ऑडे फ्लोएरां कहते हैं कि इसका श्रेय कुछ बड़े समझौतों को जाता है. जैसे कि फ्रांस की दसॉ एविएशन ने मिस्र और कतर के साथ बड़े समझौते किए. सिप्री के मुताबिक 2015 में जितने कुल हथियार बिके हैं उनका आधा तो सिर्फ 10 कंपनियों के खाते में गया है. और ये 10 कंपनियां अमेरिका और पश्चिम यूरोप की ही हैं. लेकिन इससे यह पता चलता है कि इन कंपनियों का हिस्सा कम हो रहा है. 2002 में इनके खाते में 60 फीसदी व्यापार था. रूस और दक्षिण कोरिया की कंपनियों ने इस हिस्से में सेंध लगाई है. हालांकि रूसी कंपनियों के हिस्से में कुल व्यापार का दसवां हिस्सा ही आया है. सबसे बड़ी रूसी कंपनी अलमाज अंतोई है जिसने 6.9 अरब डॉलर के हथियार बेचे. इस कंपनी का 13वां नंबर है. दक्षिण कोरिया की सात कंपनियां टॉप 100 लिस्ट में शामिल हुई हैं. इसकी वजह निर्यात के अलावा घरेलू खरीद भी रही जिस कारण इन 7 कंपनियों ने 7,7 अरब डॉलर के हथियार बेचे.

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भारत और तुर्की की कंपनियों के हिस्से में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. लेकिन चीन की कंपनियां इस लिस्ट में शामिल नहीं की जा सकी हैं. सिप्री का कहना है कि चीन की कंपनियों के आंकड़े ही उपलब्ध नहीं हैं. हालांकि संस्थान का कहना है कि विमान बनाने वाली चीनी कंपनी एवीआईसी समेत कुल 9 कंपनियां ऐसी हैं जो इस लिस्ट में शामिल हो सकती हैं.

वीके/एके (डीपीए)