गिटार बजाते काबुल के गरीब बच्चे
जगह जगह पैबंद लगे कपड़े पहन कर सड़क पर घूमने वाले काबुल के गरीब बच्चे अब गिटार भी झनझना रहे हैं. तमाम खतरों के बावजूद एक अमेरिकी नागरिक ने अफगानिस्तान में संगीत विद्यालय खोला है.
गरीब बच्चों को गिटार
अमेरिका के कई मशहूर बैंडों के लिए गिटार बजा चुके लैनी कॉरडोला ने काबुल में सड़क के गरीब बच्चों के लिए म्यूजिक स्कूल खोला. लैनी वहां खुद गिटार सिखाते हैं.
गर्ल विद ए गिटार
लैनी ने अपने अभियान को नाम दिया है गर्ल विद ए गिटार. लैनी के इस अभियान की शुरुआत 2014 में हुई. काबुल में एक धमाके चार बच्चे बुरी तरह घायल हो गये थे. पाकिस्तानी दोस्तों की मदद से लैनी घायल बच्चियों से मिले. उस मुलाकात ने लैनी का हृदय परिवर्तन सा कर दिया.
मुलाकात से म्यूजिक तक
बच्चियों का जज्बा देख लैनी हैरान थे. उन्होंने ऐसे ही हालात झेल चुके काबुल के दूसरे गरीब बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी. म्यूजिक स्कूल का विचार आया और जनवरी 2017 में स्कूल बनकर तैयार हो गया.
दौलत और शोहरत के परे
55 साल के लैनी के मुताबिक काबुल के गरीब बच्चे पैसे या शोहरत के लिए गिटार नहीं बजाते. वो गिटार की धुनों के जरिये बस अपने आप को अभिव्यक्त करते हैं. बच्चों की यही बात लैनी को आकर्षित करती हैं.
जो चले गए, वो कहां गए
गिटार के साथ लैनी और बच्चे कभी कभार बम धमाकों वाली जगहों पर भी जाते हैं. एक ऐसे ही आयोजन के दौरान नौ साल के बच्चे ने अपनी बहन को याद करते हुए गीत गाया कि “काश तुम यहां होती.”
संगीत की भाषा
लैनी को अब भी अफगानिस्तान की भाषा दारी और पश्तो बोलने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन जब बात संगीत की आती है तो काम आसान हो जाता है क्योंकि दुनिया भर में संगीत अपने आप में एक भाषा है.
दर दर दस्तक
लैनी अक्सर काबुल के रिफ्यूजी कैंपों में भी जाते हैं. वहां बच्चों के बीच बैठकर वे गिटार बजाते हैं. अगर कोई बच्चा इसमें दिलचस्पी लेता है तो लैनी बाकी लोगों से बात कर उस बच्चे को गिटार सिखाने की तैयारी करते हैं.
बच्चियों को आत्मविश्वास देना
लैनी कहते हैं कि उनका लक्ष्य अफगानिस्तान की बच्चियों में आत्मविश्वास भरना है. वह कहते हैं कि यही बच्चियां भविष्य में संगीत के सहारे प्रेम का पैगाम आगे लेकर जाएंगी.