ट्रंप की जीत और मोदी का वो अधूरा काम
१० नवम्बर २०१६जैसे ही अमेरिका से चुनावी नतीजों में ट्रंप की बढ़त की खबर आने लगी तो दिल्ली में सड़कों पर हिंदू सेना नाम के एक संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर ढोल नगाड़े बजाने शुरू कर दिए है. यही नहीं, चुनाव प्रचार के दौरान भारत में ट्रंप की जीत के लिए कुछ लोगों ने यज्ञ भी किया था. इसके अलावा, सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों की बातों में ‘हर हर ट्रंप, घर घर ट्रंप' की गूंज भी सुनाई देती थी.
ट्रंप नाम की जिस पहेली से दुनिया सहमी है, भारत में एक बड़ा तबका क्यों उसके गुणगान में लगा है? अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने एक बार कहा था, ‘आई लव हिंदूज, आई लव इंडिया'. लेकिन उनका ये बयान तो काफी बाद में आया जबकि ट्रंप तो उम्मीदवारी हासिल करते ही ‘भक्तों' के बीच लोकप्रिय होने लगे थे. ट्रंप को हिंदुओं और भारत से प्यार है या नहीं, यह तो वही जानें. लेकिन पूरी दुनिया यह जरूर जान चुकी है कि मुसलमानों से उन्हें प्यार नहीं है. शायद यही बात भारत में एक तबके को ट्रंप का मुरीद बना रही है.
इससे भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बढ़ रही खाई का भी पता चलता है. राष्ट्रपति चुनावों के दौरान अमेरिकी समाज भी दोफाड़ दिखाई दिया, लेकिन जब जीत की घोषणा के बाद ट्रंप ने पहली बार भाषण दिया तो उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अमेरिकी समाज को एकजुट करना दिखाई दी. प्रचार मुहिम के दौरान आग उगलने वाले ट्रंप के मुंह से ऐसी बात सुनकर एक बार तो हैरानी हुई. प्रचार के दौरान उन्होंने क्या क्या नहीं कहा. लेकिन अब वो भाषण रिपब्लकिन उम्मीदवार ट्रंप का नहीं था, बल्कि अमेरिका के भावी राष्ट्रपति का था. अब वो विवाद नहीं बल्कि सबके साथ संवाद की बात कह रहे हैं.
सबको साथ लेकर चलने की बात पर ट्रंप किस तरह और कितना अमल करेंगे, ये आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन ट्रंप के बहाने ये जरूर साफ हो गया है कि भारत में 2014 के आम चुनाव के दौरान पैदा हुई खाई अब तक नहीं भरी है, बल्कि लगातार चौड़ी होती जा रही है. इसे कम करने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी देश का नेता होने के नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधों पर है. उनकी सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो गया है, लेकिन ये काम अभी अधूरा है. आए दिन कुछ न कुछ ऐसा देखने को मिल जाता है जिससे पता चलता है कि ‘सबका साथ, सबका विकास' नहीं हो रहा है.
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ये सही है कि सोशल मीडिया को आप पूरे समाज का आइना नहीं कह सकते. लेकिन कुछ सच्चाइयों के अक्स तो इसमें उभरते ही हैं. वरना ट्रंप के लिए भारत में यज्ञ कराने की भला क्या जरूरत है. चुनाव तो और भी देशों में होते हैं, उनके उम्मीदवारों के लिए भारत में कितने यज्ञ हुए हैं. कभी ओबामा, पुतिन, मैर्केल, कैमरन या फिर फ्रांसोआ ओलांद की कामयाबी के लिए आपने यज्ञ देखे हैं?
डॉनल्ड ट्रंप की जीत के मायने दुनिया के भले ही कुछ हो, लेकिन भारत के लिए इसमें साफ संदेश छिपा है. नफरत की बुनियाद पर सियासत करना और वोटों की फसल काटना आसान है, लेकिन इससे देश आगे नहीं बढ़ सकता. देश को तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, जब सब तबके एकजुट और एकसाथ हों. ट्रंप ने भी जीत के बाद भाषण में कुछ ऐसी ही बातें कही हैं. क्या भारत में ट्रंप की जीत का जश्न मनाने वाले इन पर अमल करेंगे?