किसने फेंके ये हजारों नोट
जर्मनी के शहर डार्मश्टाट में पिछले साल नोट मिलने लगे. लोगों के घरों के सामने, पार्कों में, बस स्टैंड पर. जहां देखो नोट ही नोट. लोग हैरान थे. रहस्य आज भी कायम है.
पैसा ये पैसा
बात अगस्त 2015 की है. जर्मनी के दक्षिणी शहर डार्मश्टाट में लोगों को जगह-जगह नोटों को टुकड़े मिलने लगे. ये टुकड़े इतने ज्यादा और इतनी जगह थे कि लोगों के घरों में भी पहुंच गए.
छोटी सी दिक्कत
कुछ लोग इन नोटों को लेकर बैंक भी पहुंचे. एक महीने के भीतर कम से कम 23 लोग पुलिस के पास पहुंचे. पैसा तो खूब मिला लेकिन एक दिक्कत थी. ये नोट किसी काम के नहीं थे क्योंकि ये फटे हुए थे.
8000 टुकड़े
शहरवासियों को लगभग 8000 टुकड़े मिले. ये टुकड़े नाखूनों जितने छोटे थे.
जोड़ने का काम
डार्मश्टाट की पुलिस ने इन नोटों को फेडरल बैंक को भेज दिया जहां इन्हें जोड़ने का काम शुरू हुआ. फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट फॉर प्रोडक्शंस एंड डिजायन टेक्नोलॉजी की मदद से इस पहेली को सुलझाने की कवायद शुरू हुई.
नई तकनीक
इन नोटों को जोड़ना और जोड़कर पहचानना कोई आसान काम नहीं था. बर्लिन के एक रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसके लिए खास तकनीक तैयार की.
हर टुकड़े का डिजिटाइजेशन
जितने भी टुकड़े मिले थे सबको डिजिटाइज किया गया. फिर उन्हें जोड़ा गया. यह किसी पजल को हल करने जैसा था.
आखिरकार
आखिरकार दोनों टीमों ने मिलकर पता लगा लिया कि कितने नोट थे. 138 नोट 500 यूरो के थे. 100 यूरो के 24 नोट थे और 50 यूरो के 355 नोट थे. एक 10 यूरो का नोट भी था. लेकिन पूरा कोई नोट नहीं हो पाया.
10 महीने लगे
विश्लेषकों को 10 महीने की मेहनत के बाद अंदाजा हो पाया कि नोट नकली नहीं हैं. ये असली नोट थे.
कितनी रकम थी
डार्मश्टाट पुलिस का कहना था कि जो 8 हजार टुकड़े मिले थे उनकी कीमत करीब 15 हजार यूरो थी. कुल नोट तो शायद 90 हजार यूरो की कीमत के रहे होंगे. लेकिन ये कहां से आए, क्यों काट दिए गए. यह आज भी एक रहस्य है.