"हमास को आतंकवादियों की सूची से निकालना गलत"
२६ जुलाई २०१७सर्वोच्च ईयू कोर्ट ने अब मामले को निचली अदालत के पास भेजते हुए इस पर फिर से विचार करने को कहा है. यूरोपीय संघ ने पहली बार हमास को 2001 में आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया था. इसके बाद यूरोपीय संघ में इस संगठन की सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया था. लेकिन 2014 में यूरोपीय संघ की एक अदालत ने इस कदम को रद्द कर दिया.
यूरोपीय संघ ने इस मामले में फिर से अपील की थी और यूरोपीय संघ न्याय अदालत का फैसला उसके पक्ष में आया. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि 2014 में हमास को आतंकवादी संगठनों की सूची से निकालने का फैसला गलत था और अब इस पर दोबारा विचार होना चाहिए.
इस बारे में अभी हमास या इस्राएल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है. लेकिन यूरोपीय यहूदी कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत किया है. उसके अध्यक्ष मोशे कांटोर ने कहा कि इससे साफ संदेश गया है कि "जो लोग मध्य पूर्व में हत्या और आतंक के जरिये शांति का विरोध करते हैं, उनके लिए यूरोपीय संघ में कोई जगह नहीं है."
मई में हमास ने एक नया नीति दस्तावेज जारी किया था जिसमें उसने अपना रुख नरम होने के संकेत दिये थे. नये दस्तावेज में हमास ने कहा कि वह फलस्तीनी राष्ट्र के साथ साथ इस्राएल को भी स्वीकार करता है, जबकि पहले ऐसा नहीं था. इस दस्तावेज में हमास ने इस्राएली कब्जे के खिलाफ हथियार उठाने के अपने अधिकार को भी बरकरार रखा है. उसने कहा कि उसकी लड़ाई यहूदियों से नहीं है, बल्कि कब्जे से है.
एक अन्य मामले में यूरोपीय संघ की सर्वोच्च अदालत ने श्रीलंकाई विद्रोही संगठन एलटीटीई का नाम आतंकवादी सूची से हटाने के फैसले को सही करार दिया है. श्रीलंका में एक अलग तमिल राष्ट्र के लिए लड़ने वाले इस संगठन को 2006 में इस सूची में शामिल किया गया था, लेकिन 2009 में श्रीलंकाई सेना ने इस संगठन का सफाया कर दिया.
एके/आरपी (एपी, एएफपी)