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यहां रहते हैं जर्मनी के सबसे ज्यादा कमाऊ लोग

विवेक कुमार
२५ अक्टूबर २०१६

जो प्रांत पूर्वी जर्मनी में कम्युनिस्ट राज के तहत आते थे, आज भी वे देश के बाकी हिस्सों से पिछड़े हुए हैं. पूर्व और पश्चिम का यह अंतर स्पष्ट दिखाई देता है.

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तस्वीर: C. Tomich

जर्मनी में हुए एक ताजा अध्ययन ने पता चला है कि देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से के बीच आय का अंतर काफी बड़ा हो गया है. वेबसाइट गेहाल्टे ने 2016 का सैलरी एटलस जारी किया है. इसके मुताबिक हेस्से प्रांत के लोग सबसे ज्यादा सैलरी पाते हैं. यहां की आय जर्मनी के औसत से 110.7 फीसदी सालाना है.

अध्ययन में पता चला है कि सबसे ऊपर और सबसे नीचे वाले प्रांत के बीच 35 फीसदी का फर्क है. सबसे कम आय वाले लोग मैक्लेनबुर्ग-वेस्ट पोमेरेनिया में रहते हैं. उनकी आय राष्ट्रीय औसत की 75.4 फीसदी है.

गेहाल्टे ने पिछले 12 महीने की 7 लाख 47 हजार 490 सैलरी स्टेटमेंट्स का अध्ययन किया है. ये स्टेटमेंट्स देश के सभी 16 प्रांतों से ली गई थीं. अध्ययन में पता चला कि हेस्से में औसतन एक व्यक्ति राष्ट्रीय औसत से 10.7 फीसदी ज्यादा कमाता है. मैक्लेनबुर्ग-वेस्ट पोमेरेनिया में एक व्यक्ति की औसत आय से हेस्से के व्यक्ति की औसत आय 35.3 फीसदी ज्यादा है. रिपोर्ट कहती है, "हेस्से लगातार देश का एक मजबूत आर्थिक क्षेत्र बना हुआ है. फ्रैंकफर्ट इसका केंद्र है."

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रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा आय वाले पांच प्रांतों में बाडेन-वुर्टेमबर्ग (109.4 फीसदी), बवेरिया (106.1 फीसदी), हैम्बर्ग (105.2 फीसदी) और नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया (99.8 फीसदी) हैं. इस अध्ययन से पता चलता है कि जो प्रांत पूर्वी जर्मनी में होते थे, वे एकीकरण के 26 साल बाद भी औसत में बाकियों से पिछड़े हैं. देश की राजधानी बर्लिन का औसत 94.18 फीसदी है लेकिन इसके अलावा पूर्व कम्युनिस्ट प्रांतों में से पांच तो लिस्ट में सबसे नीचे हैं. गेहाल्टे के सीईओ फिलिप बीयरबाख ने एक बयान में बताया, "बर्लिन अपने साथ लगते प्रांतों से कामगारों को आकर्षित करता है. खासकर यूनिवर्सिटी से पास हुए युवा यहां आते हैं और अच्छा पैसा कमाते हैं."

अगस्त में आर्थिक मामलों में रिसर्च करने वाले थिंकटैंक आईएफओ इंस्टीट्यूट ने कहा था कि पश्चिम और पूर्व के बीच का यह अंतर आने वाले कई सालों तक बना रहेगा. पूर्वी जर्मनी के प्रांतों से रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण की तलाश में बहुत ज्यादा संख्या में युवा पश्चिम की ओर जाते रहे हैं. इस वजह से पूर्वी प्रांतों को आर्थिक विकास और आय के मामले में खासा नुकसान हुआ है.

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