मॉल कमाल
मॉल्स कैसे बनाए जाते हैं? ऐसा क्या होता है कि आप उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं? सोचा है कभी? जर्मनी के शहर म्यूनिख में एक आर्किटेक्चर म्यूजियम में मॉल्स की प्रदर्शनी में कुछ ऐसे ही सवाल उठे.
मॉल का जन्म
1956 में अमेरिका के मिनेसोटा में साउथडेल सेंटर खुला था. यह पहला मॉल था. ऑस्ट्रिया के आर्किटेक्ट विक्टर ग्रुएन ने इसे डिजाइन किया था. और इसके पीछे सोच यह थी कि लोगों को कार से इधर-उधर दौड़ने से छुटकारा मिले. वे एक जगह पूरी मस्ती कर सकें. इस सिद्धांत को ग्रुएन इफेक्ट कहा गया.
मोहभंग
पूरी दुनिया में ग्रुएन के आइडिया को कॉपी किया गया. लेकिन जिस तरह कॉपी किया गया, उसे देखकर ग्रुएन का भी मोहभंग हो गया. उनका मानना था कि हर जगह मॉल की जरूरत नहीं है. तस्वीर में आप जर्मनी का पहला मॉल देख रहे हैं जो फ्रैंकफर्ट के पास बना था.
महल का बन गया मॉल
जर्मनी के ब्राउनश्वाइग शहर में बने इस मॉल को देखिए. यह एक महल था जो दूसरे विश्वयुद्ध में तबाह हो गया था. 2005 से 2007 के बीच इसे ग्रैजिओली और मुथसियस नाम के दो आर्किटेक्टों ने मॉल बना दिया.
जर्मनी का सबसे बड़ा मॉल
जब कुछ महत्वपूर्ण उद्योग बंद हो गए तो उन इलाकों के नए इस्तेमाल की चुनौती थी. 1994 से 1996 के बीच ओबरहाउजेन शहर में बना सेंटर ओ जर्मनी का सबसे बड़ा मॉल है.
इस्तांबुल की नई पहचान
तुर्की के खचाखच भरे शहर की पहचान तो उसके पारंपरिक बाजारों से है लेकिन 2013 में बनकर तैयार हुए जोरलू सेंटर ने शहर का चेहरा ही बदल दिया है.
सैन डिएगो की भूल भुलैया
1985 में बन कर तैयार हुए वेस्टफील्ड हॉर्टन प्लाजा को तीन साल में बनाया गया. कहीं से ऊंचा कहीं से नीचा यह भूल भुलैया सा लगता है.
मरे हुए मॉल
लोगों की खरीदारी की आदतें तेजी से बदली हैं जिसका नतीजा फ्लॉप मॉल्स के रूप में देखने को मिला है. ओहायो का रोलिंग एकर्स इसी की मिसाल है जहां लोगों ने आना बंद कर दिया.
विफल प्रयोग
वेनेजुएला की राजधानी कराकस में बनी यह इमारत है अल हेलिकोएडे डे ला रोका तारपेया. इसे एक ड्राइव-इन मॉल के रूप में बनाया जा रहा था. लेकिन 1960 में निर्माण रोक दिया गया. फिर यहां कभी बस्ती बनी तो कभी दफ्तर. फिलहाल यह जेल है.