भारत में हर साल दसियों हजार बच्चे पैदा होने के महज कुछ दिन में मर जाते हैं. ये बच्चे ऐसी मामूली बीमारियों से मरते हैं जिनका इलाज आसानी से किया जा सकता है. लेकिन ये मामूली बीमारियां सबसे बड़ी कातिल बन गई हैं.
समाचार चैनल अल जजीरा की एक डॉक्युमेंट्री फिल्म द राइज ऑफ इंडियाज सुपरबग ने इस बीमारी से हुई मौतों और अपने बच्चे खोने वाले मां-बाप की दिल तोड़ देने वाली तस्वीर पेश की है. फिल्म में अमरावती की अंजली ठाकुर का इंटरव्यू है जो बताती हैं कि उनकी बेटी वक्त से पहले पैदा हो गई थी, डॉक्टरों ने उसे बहुत दवाएं दीं लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
सुपरबग दरअसल एक ऐसा बैक्टीरिया है जिसने ऐंटिबायॉटिक्स के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता विकसित कर ली है. यानी इस बैक्टीरिया पर अब ऐंटिबायॉटिक्स का असर ही नहीं होता. इसका नतीजा यह हो रहा है कि भारत ने हाल ही में जो बच्चों की मौत की दर घटाने में सफलता पाई थी, वह खतरे में पड़ गई है. दुनिया भर में होने वाली नवजात मौतों में से एक तिहाई अब भी भारत में होती हैं. हाल ही में दुनिया के जानेमाने माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर रामनन लक्ष्मीनारायणन ने अपने शोध में अंदाजा लगाया कि सुपरबग्स भारत में हर साल 58 हजार बच्चों की जान ले रहा है. अल जजीरा से बातचीत में उन्होंने कहा, "एंटिबायॉटिक्स प्रतिरोध के खतरे के मामले में भारत सबसे आगे खड़ा है. प्रतिरोधक संक्रमणों से होने वाली मौतों में भारत सबसे आगे है. इसका मतलब यह है कि ऐसे इंफेक्शन बच्चों की जान ले रहे हैं जिन्हें अब एंटिबायॉटिक्स से ठीक नहीं किया जा सकता."
गर्भावस्था से जुड़ी गलतफहमियां, देखें
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
अब से तुम्हें दो के लिए खाना है
यह सबसे आम धारणा है. जी नहीं, गर्भवती महिला को दो के लिए नहीं खाना होता क्योंकि बच्चे का आकर वयस्क जितना नहीं होता. गर्भावस्था में भूख हार्मोन के रिसाव के कारण लगती है, इसलिए नहीं कि बच्चा खाना मांग रहा होता है. कुल मिला कर प्रति दिन 300 कैलोरी ज्यादा लेना काफी होता है.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
दूध दही खाने से होगा गोरा बच्चा
भारत में गोरेपन के लिए लोग पागल हैं. बच्चे के पैदा होने से पहले ही उसके गोरा चिट्टा होने की बातें शुरू हो जाती हैं. दूध दही जैसी सफेद चीजें खा कर आपका बच्चा गोरा नहीं होगा और ना ही नारियल पानी पीने से. बच्चे का रंग माता पिता के जीन्स निर्धारित करते हैं.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
घी खाने से डिलीवरी में आसानी
यह समझना जरूरी है कि हमारा शरीर एक मशीन है जिसमें अलग अलग तरह के सिस्टम होते हैं. जब आप कुछ खाते हैं तो वह पाचन तंत्र में पहुंचता है, प्रजनन तंत्र में नहीं. इसलिए आप कितना भी घी खा लें, वह ल्यूब्रिकेंट का काम नहीं कर सकता.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
सेक्स करना सही नहीं
गर्भावस्था के दौरान महिला सेक्स का उतना ही आनंद ले सकती है जितना उससे पहले या बाद में. सेक्स करने से बच्चे को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता, बल्कि इसे योनि के लिए एक अच्छी कसरत के रूप में देखा जा सकता है.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
सुंदर बच्चे की तस्वीर देखो
जरूरत से ज्यादा तनाव से बचें, अच्छा सोचें, ये इसलिए जरूरी है ताकि सही प्रकार के हार्मोन शरीर में सक्रिय रहें लेकिन अपने सामने लड्डू गोपाल की तस्वीर लगा लेने से आपका बच्चा उनके जैसा नहीं दिखने लगेगा.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
सीढियां मत चढ़ो
आप सीढियां भी चढ़ सकती हैं, कसरत भी कर सकती हैं और जहां चाहे घूमने भी जा सकती हैं. आपके शरीर को जिस चीज की आदत है, उसे बनाए रखें. अगर पहले ये सब नहीं करती रही हैं, तो एक्सपेरिमेंट करने की जरूरत नहीं है.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
पेट का आकार बताता है लड़का या लड़की
पेट सामने की ओर निकला है तो बेटी, फैला हुआ है तो बेटा. जी नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होता. हां खेल खेल में मन बहलाने के लिए यह बुरा नहीं है.
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गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
गोलू मोलू बच्चा यानी चंगी सेहत
अगर आप गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा घी और चीनी का सेवन करती हैं, तो उसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ेगा. जी हां, बच्चा गोलमटोल पैदा होगा लेकिन यह खुश होने की बात नहीं है. सामान्य से ज्यादा वजन के बच्चे बड़े हो कर डायबटीज और दिल की बीमारियों का शिकार होते हैं.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया
दिल्ली और वॉशिंगटन से चलने वाले सेंटर फॉर डिजीज डायनमिक्स, इकनॉमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक डॉ. रामनन ने अल जजीरा को बताया कि मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ने वाली है.
लेकिन शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि यह समस्या सिर्फ भारत की नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय हो चुकी है. भारत में पहचाना गया कम से कम एक बैक्टीरिया ऐसा है जिस पर एंटीबायॉटिक्स असर नहीं करती हैं और अब यह दुनिया के 70 से ज्यादा देशों तक पहुंच चुका है. यह बैक्टीरिया इतना घातक है कि बाजार में उपलब्ध सबसे स्ट्रॉन्ग एंटिबायॉटिक्स भी इस पर असर नहीं कर रही हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि पेशाब के इंफेक्शन और न्यूमोनिया जैसी बीमारियां भी जानलेवा हो जाएंगी. यानी दुनिया 50 साल पीछे चली जाएगी.
सुपरबग के प्रसार का दोष साफ-सफाई की खराब व्यवस्था और बढ़ती भीड़ पर तो है ही, लेकिन सबसे ज्यादा जिम्मेदार है एंटिबायॉटिक्स का बेइंतहा इस्तेमाल. भारत में एंटिबायॉटिक्स बिना डॉ़क्टर की सलाह के, बिना किसी पर्ची के बड़ी आसानी से लिए जा सकते हैं. पश्चिमी देशों जैसे जर्मनी में डॉक्टर्स बहुत गंभीर स्थिति में ही एंटिबायॉटिक्स देते हैं लेकिन भारत में स्थिति इसके उलट है. गले के सामान्य इंफेक्शन के लिए भी एंटिबायॉटिक गोली खाना आम बात है.
50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
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50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
ऑस्ट्रेलिया की किम टुची ने जनवरी में 5 बच्चों को एक साथ जन्म दिया. अब इनकी बहुत प्यारी तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट हुईं और दुनियाभर में फैल गईं. लेकिन टुसी को आपकी मदद चाहिए.
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50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
पर्थ की रहने वाली किम टुची ने जनवरी में पांच बच्चों को एक साथ जन्म दिया था. चार लड़कियां और एक लड़का. टुची 26 साल की हैं.
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50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
इस डिलीवीरी के लिए 50 डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने खूब मेहनत की. साढ़े पांच करोड़ में एक बार ऐसा होता है कि पांच बच्चे एक साथ जन्म लें.
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50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
स्थानीय फोटोग्राफर एरिना एलिजाबेथ ने इन बच्चों को तस्वीरों में उतारा. टुची ने लिखा कि 50 उंगलियां, 6 दिल, धड़कते एक साथ. टुची के तीन बच्चे पहले से हैं. नौ साल का एक बेटा है और दो बेटियां हैं 2 और 4 साल कीं.
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50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
शुरू में टुची को डॉक्टरों ने कहा था कि पांच में से 2 ही बच्चों को बचाना चाहिए और बाकी तीन को टर्मिनेट कर देना चाहिए क्योंकि सेहत को खतरा है. लेकिन टुची राजी नहीं हुईं.
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50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
अब टुची को एक वैन चाहिए जिसमें ये सारे बच्चे एक साथ लाए-ले जाए जा सकें. इसी के लिए वह फंड जुटाने की कोशिश कर रही हैं. आप भी उनके फेसबुक पेज पर जाकर मदद कर सकते हैं.
रिपोर्ट: विवेक कुमार